स्तनपान नवजात शिशुओं में प्रतिरक्षा क्षमता तो बढ़ाता ही है, उन्हें प्रदूषण से भी बचाता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि गर्भस्थ शिशु भी पर्यावरण में फैले प्रदूषण से बच नहीं पाते हैं और इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए उन्होंने जन्म के बाद प्रारंभिक अवस्था में शिशु को दिए जाने वाले आहार की उनके शारीरिक एवं व्यावहारिक विकास में भूमिका का अध्ययन किया।

शोधकर्ताओं ने शिशुओं के शुरुआती वर्षो के दौरान पेशियों के विकास एवं मानसिक विकास में हानिकारक पदूषक पदार्थ एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के प्रभाव का अध्ययन किया। यूनिवर्सिटी ऑफ द बास्क काउंटी की शोधकर्ता एैटाना लर्टशुंडी ने कहा, “गर्भ में रहने के दौरान शिशुओं में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विकसित होता है और तब दूषित पदार्थो को निष्क्रिय करने वाली पर्याप्त डिटॉक्सीफिकेशन प्रणाली का अभाव होता है।”
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में यह पाया कि जन्म के बाद कम से कम चार महीनों तक स्तनपान करने वाले शिशुओं को हानिकारक प्रदूषक पदार्थ एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है। शोधकर्ताओं ने 2006 में यह अध्ययन शुरू किया था, जब महिलाएं गर्भवती थीं और यह शोध बच्चों के जन्म लेने और आठ साल की आयु के होने तक जारी है। शोधकर्ताओं ने अब तक उन नमूनों का परीक्षण और विश्लेषण किया है, जो नवजातों के 15 महीने की अवस्था में लिए गए थे। यह शोध जर्नल एन्वायरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है।
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