अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने वाली एक फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारी चुराने के आरोप लगे हैं. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने इस डेटा के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को जिताने के लिए माहौल बनाया. भारत में कैम्ब्रिज एनालिटिका की पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबारेटरीज (SCL) एक स्थानीय कंपनी ओवलेनो बिजनेस इंटेलीजेंस (OBI) के साथ मिलकर कई राजनीतिक दलों के लिए काम करती है. आइए जानते हैं कि यह फर्म किस तरह से खासकर चुनावों में जनमत को प्रभावित करती है.
सबसे पहले डेटा की स्टडी
इस कार्य के लिए कंपनी लोगों के ई-मेल, कॉन्टैक्ट नंबर, लोकेशन आदि की जानकारी हासिल करती है. कैम्ब्रिज एनालिटिका (सीए) का दावा है कि वह ‘लोगों के व्यवहार में बदलाव से मिले डेटा का अध्ययन करती है और अपने क्लाइंट को चुनाव जिताने में मदद के लिए उन्हें जरूरी डेटा और उसका विश्लेषण मुहैया कराती है. इसके लिए वह अनुमान लगाने वाले एनालिटिक्स, व्यवहार विज्ञान और डेटा आधारित विज्ञापन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. कंपनी यूजर्स के डेटा बड़े पैमाने पर हासिल कर वोटर्स के व्यवहार का अध्ययन करती है और सोशल मीडिया तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने लक्षित विज्ञापनों और अभियानों के द्वारा उन्हें प्रभावित करने की भी कोशिश करती है.
दिग्गजों को करती है हायर
कंपनी आंकड़ों के विश्लेषण के लिए रिसर्चर, डेटा साइंटिस्ट और कई बार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को भी हायर करती है. कंपनी की टीम में पीएचडी कर चुके डेटा साइंटिस्ट, मझे हुए रणनीतिकार, राष्ट्रपति चुनाव और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय चुनाव अभियानों से जुड़े अनुभवी लोग, विशेषज्ञ रिसर्चर, डिजिटल मार्केटिंग रणनीतिकार और कंटेन्ट क्रिएटर होते हैं. ये सभी लोग मिलकर ऑडियंस के अलग-अलग वर्ग की पहचान करते हैं और फंड जुटाने से लेकर, लोगों को मनाने और उन्हें वोट डालने के लिए प्रेरित करने तक के अभियान चलाते हैं.
ऐसे बदलते हैं विचार
किसी व्यक्ति के राजनीतिक झुकाव की जानकारी हासिल करने के बाद कंपनी सीधे मेल, सोशल मीडिया पुश, खास तौर पर तैयार विजुअल, भाषा आदि का इस्तेमाल करते हुए ऐसे राजनीतिक अभियान चलाती है जिससे उसके विचार को बदला जा सके.
कंपनी अपने क्लाइंट्स को लुभाने के लिए वेबसाइट पर कहती है, ‘हम ऐसे वोटर्स की पहचान करते हैं जिन्हें आपके पक्ष मोड़ा जा सके और रचनात्मक तरीके से उन्हें जोड़े रखकर बैलेट बॉक्स तक पहुंचाते हैं.’
ट्रंप को इस तरह से जिताया
गौरतलब है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका दुनिया भर में 200 से ज्यादा चुनावों में काम कर चुकी है. लेकिन अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के लिए काम करना और ट्रंप की जीत में मदद करना है. ऐसा माना जाता है कि कंपनी ने बिना किसी खास झुकाव वाले वोटर्स की पहचान की और उन्हें ट्रंप के पक्ष में करने में अहम भूमिका निभाई.
कंपनी ने लाखों डेटा पॉइंट का विश्लेषण किया, लगातार उन पर नजर रखी और आसानी से मान जाने वाले वोटर्स की पहचान की. कंपनी ने उन्हें लक्ष्य कर महत्वपूर्ण मौकों पर संदेश भेजे. यह सब कई बार और काफी कम लागत में हो सका.
अमेरिकी चुनाव में कैम्ब्रिज एनालिटिका ने हर दिन 17 राज्यों के वोटर्स से संपर्क बनाया और ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान की प्रगति पर नजर रखी. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने प्रचार अभियान के अंतिम महीने में डेली रिपोर्ट दी और इस बारे में ताजा आंकड़े दिए कि किस तरह से वोटर्स की राय बदली है.
सर्वे से ली जानकारी
कंपनी ने हर राज्य में 1,500 लोगों के बीच सर्वे कर कीमती आंतरिक जानकारी हासिल की और इसकी मदद से रणनीति बनाई. इसकी वजह से कंपनी राज्यवार किसी राजनीतिक घटना के बारे में प्रतिक्रिया जान सकी और यह समझ पाई कि वोटरों के इरादे में कोई अप्रत्याशित बदलाव तो नहीं आया है. कंपनी ने 17 राज्यों के 1,80,000 लोगों के बीच ऑनलाइन और फोन पर सर्वे किया. इसमें लोगों के वोटिंग इतिहास से लेकर उनकी कार तक के बारे में जानकारी हासिल की गई. इसके द्वारा यह जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई कि कौन-कौन से वोटर डोनाल्ड ट्रंप को सपोर्ट कर सकते हैं.
वोटर्स की सोच के मुताबिक विज्ञापन
वोटरों को प्रभावित करने के लिए प्रचार अभियान के सभी पहलुओं को समर्थन देने के लिए डिजिटल मार्केटिंग ढांचे का इस्तेमाल किया गया. कंपनी ने 30 से ज्यादा ऐड टेक पार्टनर के साथ गठजोड़ किया था. कंपनी ने अपने डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए उन वोटरों को लक्ष्य बनाया जिनको सार्थक तरीके से प्रभावित किया जा सकता है्. उदाहरण के लिए यदि कोई वोटर हेल्थकेयर की चिंता करता था, तो उसके पास ऐसे विज्ञापन पहुंचने लगे जिसमें स्वास्थ्य के बारे में ट्रंप के नजरिए को समझाया गया था.
वोटिंग बूथ तक जाने की प्रेरणा
मार्केटिंग के लिए कई तरह के टूल इस्तेमाल किए गए जैसे सोशल मीडिया, सर्च इंजन ऐडवर्टाइजिंग और यूट्यूब. जब वोटरों की सोच पर असर हो गया तो उसके बाद उन्हें खास अभियानों में शामिल होने को प्रेरित किया जाने लगा. इससे रिपब्लिकन पार्टी का चंदा बढ़ने लगा, सभाओं में भीड़ बढ़ने लगी और निष्क्रिय मतदाताओं को बड़ी संख्या में सक्रिय बनाकर चुनाव के दिन वोट डालने के लिए प्रेरित किया गया.