पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की जयंती पर राजधानी भोपाल में महफिल मुशायरा का आयोजन किया गया। बाहरी मुल्कों से आए शायरों, देश को गौरव दिलाने वाले फनकारों, दुनिया में अपने प्रदेश का परचम ऊंचा रखने वाले अदबी लोगों के अलावा शहर को अपने कलाम से पहचान देने वाले चेहरे इस महफिल की रौनक थे। देर रात तक चले मुशायरे के वातावरण को गुलाबी ठंड भी रंगत देती रही। शेर ओ गजल का सुरूर रात की गहराई पर भारी पड़ती दिखाई देती रही।
देश दुनिया से आए बड़े, नामवर और स्थापित शायरों की इस महफिल में मंच के नए चेहरे सतलज राहत ने खासा रंग जमाया। उन्हें “जितने अपने थे मर गए हैं मेरे, सारे हमदर्द डर गए हैं मेरे, आपसे दिल की बात कहना है, आप दिल से उतर गए हैं मेरे…”जैसे शेर से महफिल में रंगत भरना शुरू की, और धीरे धीरे कई मजबूत और यादगार शेर मंच की नजर करते गए। सतलज के “कपड़े फट जाते हैं और बाल बिगड़ जाते हैं, अच्छे अच्छों के यहां हाल बिगड़ जाते हैं….” “नफ़रत का है दौर कहा जा सकता है, झूठ का है ये शोर कहा जा सकता है…”भी खूब पसंद किए गए।
नवाजे गए मंजर
अर्जुन सिंह सद्भावना मंच के इस आयोजन में शहर भोपाल को दुनिया में खास पहचान देने वाले व्यक्तित्व नागरिक सम्मान से नवाजे गए। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली को भी सम्मान दिया गया। मुशायरा महफिल के जरिए दुनिया नाप चुके मंजर इस दौर में मुशायरों की सफलता की गारंटी कहे जाने लगे हैं। इनके अलावा ढाई लाख से ज्यादा हार्ट सर्जरी कर रिकॉर्ड स्थापित कर चुके डॉ वायके मिश्रा, एवरेस्ट विजेता मेघा परमार, कन्हैया कुमार आदि भी मंच से सम्मानित किए गए।
शबीना की शुरुआत को विजय ने दी रवानी
रसिक श्रोताओं की गीत, गजल, शेर पिपासा पूरी करने के लिए मुशायरा महफिल में देश के नामवर शायर जुटाए गए थे। महफिल का आगाज कानपुर से आईं शहरा शबीना अदीब के कौमी तराने से हुई। इसके बाद मुशायरे को सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी शायर ए शहर विजय तिवारी ने संभाली। उनके सफल संचालन में प्रो वसीम बरेलवी, अरुण जैमिनी, डॉ नवाज देवबंदी, मंजर भोपाली, चरण सिंह बशर जैसे दिग्गज शायरों ने अपने कलाम से महफिल को बांध रखा। कार्यक्रम में बाहरी मुल्कों से आए अनवर कमाल (बहरीन) और डॉ वला जमाल (मिस्र) की खास मौजूदगी से भी महफिल रौशन हुई।