माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) की तिथि के समापन के साथ ही माघ महीना खत्म हो जाता है। इसके बाद फाल्गुन माह की शुरुआत होता है। पूर्णिमा की तिथि पर लोग भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा कर जीवन को सफल बनाते हैं। इस दिन पूजा के दौरान आरती न करने से पूर्ण फल की प्राप्त नहीं होती है। इसलिए आरती करना बिलकुल भी न भूलें।
पंचांग के अनुसार, आज यानी 12 फरवरी (Magh Purnima 2025 Date) को माघ पूर्णिमा व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करने से कारोबार में सफलता प्राप्त होती है और रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं। साथ ही श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप श्री विष्णु जी की आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें। इससे जीवन खुशहाल होता है और सभी सुख मिलेंगे।
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
पूजा के समय काले काले कपड़े न पहनें।
किसी से वाद-विवाद न करें।
किसी के बारे में मन में गलत न सोचें।
घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
पूजा करने के बाद दिन में न सोएं।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
आरती श्री लक्ष्मी जी
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥