प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों को खुली छूट दे दी है, लेकिन इन एजेंसियों के अधिकारियों की मानें तो उनके पास विकल्प सीमित हैं उरी में आतंकी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई के कयास जरूर लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना कम दिख रही है। प्रधानमंत्री ने खुद तीनों सेनाओं के प्रमुखों और एनएसए के साथ इन विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की।
सूत्रों के अनुसार परमाणु हथियारों से संपन्न पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। यही कारण है कि उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का विकल्प चुना गया था और पाकिस्तान को सबक सिखाने में सफलता भी मिली थी। लेकिन इस बार सर्जिकल स्ट्राइक संभव नहीं है। इस बार पाकिस्तान पूरी तरह चौकन्ना है जो भारत की ओर से सैनिकों के सीमा पार करने की कोशिशों को नाकाम कर सकता है।
ऐसे में भारत इस बार पाकिस्तान के कब्जे वाले पीओके में सैन्य और आतंकी ठिकानों पर सीमित हमला कर सकता है। चूंकि भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता है और पाकिस्तान भी कश्मीर को पूरी तरह अपना हिस्सा नहीं मानते हुए उसे आजाद कश्मीर का दर्जा देता है। इसीलिए पीओके में होने वाली किसी सैन्य कार्रवाई को पाकिस्तान के लिए अपनी संप्रभुता और अपने भूभाग पर हमला साबित करना आसान नहीं होगा। दुनिया के सामने सैन्य कार्रवाई को सही ठहराने में भारत की कूटनीतिक जीत आसान होगी।
पीओके में पाकिस्तानी सैन्य और आतंकी ठिकानों पर सीमित हमले का दूरगामी प्रभाव भी पड़ सकता है। कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ का मुख्य रास्ता पीओके है। आतंकियों के सारे लांच पैड भी यही हैं। पीओके में मौजूद सैन्य शिविर इन आतंकी ठिकानों के लिए सुरक्षा की ढाल की तरह काम करते हैं। एक बार यदि पीओके में इन ठिकानों पर हमला होता है, तो पाकिस्तान को न सिर्फ अपने सैन्य शिविरों की सुरक्षा की चिंता होगी, बल्कि उसके आतंकी भी यहां सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे। लेकिन क्या, कब और कैसे होगा यह सब अब सुरक्षा एजेंसियों को तय करना है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal