आर्थिक बदहाली का शिकार पाकिस्तान के लिए एक और बहुत बुरी खबर आई है. देश की अर्थव्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कपास की पैदावार (Cotton Production) में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है. इसका उत्पादन देश में अब तक के निम्नतम स्तर पर दर्ज किया गया है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सहारा देने में टेक्सटाइल उद्योग (Textile Industry) का सबसे बड़ा हाथ रहता है. अब इस उद्योग के कच्चे माल, कपास की कम पैदावार ने देश के नीति निर्माताओं के साथ-साथ कपास निर्यातकों में भी खलबली मचा दी है.
पाकिस्तान की उम्मीदों को लगा झटका
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल कपास की फसल की पैदावार में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई. इसमें कहा गया है कि कपास के बीज पर उचित ध्यान नहीं देने का यह नतीजा है और आज भारत जैसे देश कपास उत्पादन के मामले में पाकिस्तान से बहुत आगे निकल गए हैं. सरकार की निगाह इस पर थी कि पाकिस्तान कपास के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा और इससे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कर्ज से थोड़ी राहत मिलेगी.
IMF से मिलने वाली रकम से ज्यादा होगा खर्च
नौबत यह आ गई है कि पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए कपास का आयात करना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कपास का आयात किया गया तो कुछ महीने में ही 1 अरब 50 करोड़ डॉलर खर्च करने होंगे. यानी आईएमएफ से मिलने वाली सालाना राशि से अधिक की राशि कपास के आयात पर खर्च हो जाएगी. इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर बेहद विपरीत असर पड़ेगा और आईएमएफ पर निर्भरता कम नहीं होगी
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ ने कड़ी शर्तों के साथ 39 महीनों के लिए 6 अरब डॉलर का लोन देने को मंजूरी दी है. इस 6 अरब डॉलर के लोन में तत्काल दी जाने वाली एक अरब डॉलर की वित्तीय मदद शामिल है जो पाकिस्तान को उसके भुगतान संकट से निपटने में सहायता करेगी. आईएमएफ का 1950 में सदस्य बनने के बाद पाकिस्तान को यह 22वीं दफा राहत पैकेज मिला है.