पंजाब सरकार द्वारा बाल मजदूरी और भीख मांगने वाले छोटे बच्चों को रोकने के लिए शुरू किए गए ‘जीवन ज्योत-2 प्रोजैक्ट’ ने गुरदासपुर जिले में कुछ ही दिनों में अपना असर दिखा दिया है। टास्क फोर्स की सख्ती से अब सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले बच्चे अचानक गायब हो गए हैं। गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा गठित टीमों द्वारा जिले के विभिन्न शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर छापेमारी का सिलसिला जारी है लेकिन हैरानी की बात है कि जिले में पहले दिन पकड़े गए बच्चों के खिलाफ की गई सख्ती के बाद मंगलवार से आज तक किसी भी इलाके में भीख मांगने वाला कोई भी बच्चा नहीं मिला है।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने ‘जीवन ज्योत-2 प्रोजैक्ट’ चलाकर पूरे पंजाब में बाल मजदूरी और बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इसके तहत यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि जिन बच्चों पर बाल भिक्षावृत्ति का संदेह हो, उनके डी.एन.ए. टैस्ट भी किए जाएं। इसी के तहत गुरदासपुर जिले में भी महिला एवं बाल सुरक्षा विभाग द्वारा एक विशेष अभियान शुरू किया गया था।
इस अभियान के तहत सोमवार को गुरदासपुर शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य स्थानों पर छापेमारी के दौरान टीम को 9 बच्चे मिले थे, जिनमें से 6 बच्चे भीख मांग रहे थे, जबकि 3 बच्चे सामान बेच रहे थे। इनमें से 6 बच्चों के माता-पिता गुरदासपुर में ही मौजूद थे, जिनके आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र जांच कर बच्चे सौंप दिए गए थे लेकिन तीन बच्चों में से एक बच्चा नेपाल का था, जबकि दो बच्चे उत्तर प्रदेश के थे जिनके माता-पिता यहां नहीं थे। इन बच्चों से दो ठेकेदार बाल मजदूरी करवा रहे थे। इस कारण पुलिस ने बाकायदा मामला भी दर्ज किया था और उक्त बच्चों को चिल्ड्रन होम में भेज दिया था।
प्रशासन द्वारा शुरू की गई इस सख्ती और कुछ बच्चों को पकड़े जाने के बाद, जब ये टीमें गुरदासपुर, डेरा बाबा नानक और बटाला सहित जिले के अन्य विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक स्थानों पर छापेमारी करने पहुंचीं, तो कहीं भी कोई भीख मांगता बच्चा नहीं मिला। बाल सुरक्षा अधिकारी सुनील जोशी ने बताया कि डिप्टी कमिश्नर के निर्देशों के अनुसार, टास्क फोर्स द्वारा रोजाना ही विभिन्न शहरों में छापे मारे जा रहे हैं। इसी के चलते न सिर्फ बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर चैकिंग की गई है, बल्कि विभिन्न धार्मिक स्थानों के बाहर भी सुबह और शाम के समय छापेमारी की गई है।