पंजाब विधानसभा चुनाव-2027 से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है। पार्टी अब हरियाणा के रास्ते पंजाब की राजनीति में नई एंट्री तलाश रही है।
भाजपा हाईकमान ने जिम्मेदारी हरियाणा इकाई को सौंपी है। हरियाणा सरकार ने हाल ही में 1984 सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों को नौकरी देने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर बड़ा सियासी दांव खेला है। प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसे परिवारों के एक सदस्य को अनुबंध के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाएगी, चाहे मौत राज्य में हुई हो या बाहर। राजनीतिक जानकार इसे पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और मानते हैं कि भाजपा ने इस फैसले से सिख वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।
दिल्ली निगम चुनाव की जिम्मेदारी भी हरियाणा इकाई को मिली थी
इससे पहले हरियाणा विधानसभा में जीत के बाद पार्टी ने दिल्ली निगम चुनाव की जिम्मेदारी भी हरियाणा इकाई को दी थी, जिसमें भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। अब पंजाब की जिम्मेदारी भी हरियाणा इकाई को सौंपी गई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, मंत्री कृष्ण बेदी और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी को इस दिशा में अहम भूमिका दी गई है। पंजाब में बाढ़ से आई तबाही के बाद हरियाणा भाजपा ने राहत अभियान चलाकर बड़ा संदेश दिया।
पार्टी ने पांच करोड़ रुपये की आर्थिक मदद के साथ 500 से अधिक ट्रक राहत सामग्री पंजाब भेजी। हर जिले से सामग्री जुटाने का आह्वान मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद किया था और पूरी मुहिम की निगरानी की थी।
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