पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को एनडीपीएस के उन सभी मामलों का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया है जिनमें 6 महीने बीतने के बावजूद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया कि वे सभी एसएसपी को निर्देश दें कि एनडीपीएस के मामलों की वे निगरानी करें।
वरिंदर सिंह उर्फ बिंदा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता पर 12 सितंबर, 2023 को मामला दर्ज किया गया था। पिछले 11 महीनों से उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने एसएसपी बठिंडा को हलफनामा दाखिल कर बठिंडा जिले के विभिन्न थानों में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज उन सभी मामलों की सूची देने को कहा था, जिनमें पिछले छह महीने से आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
एसएसपी बठिंडा ने अपने हलफनामे में बताया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज 83 आपराधिक मामलों में पिछले छह महीने से अधिक समय से 97 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। हलफनामे में दिए गए ब्योरे से हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि आरोपियों के खिलाफ पीओ की कोई काईवाई और उनकी संपत्ति कुर्क करने की कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई।
हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि बठिंडा जिले के उच्च पुलिस अधिकारियों ने एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की जांच की निगरानी नहीं की थी। एसएसपी बठिंडा के हलफनामे को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए केवल विभागीय कार्रवाई शुरू की गई और ऐसे दागी पुलिसकर्मी पुलिस थानों में पुलिस बने रहे।
हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को आदेश दिया है कि वह बताएं कि प्रदेश में एनडीपीएस के कितने मामले हैं जिनमें आरोपी 6 माह से अधिक अवधि से फरार हैं। यदि मादक पदार्थों के मामलों में आरोपी को पुलिस द्वारा उचित समय अवधि के भीतर गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो ऐसे आरोपियों को तुरंत घोषित अपराधी (पीओ) घोषित किया जाना चाहिए और कानून के प्रावधान के अनुसार बिना किसी देरी के उनकी संपत्तियां कुर्क की जानी चाहिए।