राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान को भेजे पत्र में कहा है कि यह सत्र राजभवन की बिना अनुमति बुलाया जा रहा है। ऐसे में तीन वित्त विधेयकों को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कि इसके बावजूद अवैध विधानसभा सत्र बुलाया गया तो वह इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे।
पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय सत्र आज से शुरू हो रहा है। इससे पहले ही सूबे की राजनीति गरमा गई है। पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय सत्र आज से शुरू हो रहा है। इससे पहले ही सूबे की राजनीति गरमा गई है। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले गुरुवार को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने तीन वित्त विधेयकों को सदन में पेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान को भेजे पत्र में कहा है कि यह सत्र राजभवन की बिना अनुमति बुलाया जा रहा है। ऐसे में तीन वित्त विधेयकों को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कि इसके बावजूद अवैध विधानसभा सत्र बुलाया गया तो वह इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे और उचित कार्रवाई पर विचार करने के लिए मजबूर होंगे। उधर, विपक्ष ने भी एसवाईएल, बढ़ते कर्ज और कानून- व्यवस्था पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
गवर्नर बोले-बार-बार मना किया
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नाम भेजे गए पत्र में राज्यपाल ने लिखा कि मुझसे 16वीं पंजाब विधानसभा के चौथे बजट सत्र के अधीन 20 अक्तूबर से दो दिवसीय विशेष सत्र में तीन वित्त विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी गई है। यह वित्त विधेयक- दि पंजाब फिस्कल रिस्पांसिबिलीटी एंड बजट मैनेजमेंट (संशोधन) बिल 2023, दि पंजाब जीएसटी (संशोधन) बिल 2023 और दि इंडियन स्टांप (पंजाब संशोधन) बिल 2023 हैं। राज्यपाल ने लिखा कि वह अपने 24 जुलाई, 2023 और 12 अक्तूबर, 2023 के पत्रों में स्पष्ट कर चुके हैं कि इस तरह का सत्र बुलाना स्पष्ट रूप से अवैध है और विधानमंडल की स्वीकृत प्रक्रियाओं व अभ्यास और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। उन्होंने आगे लिखा कि चूंकि बजट सत्र समाप्त हो चुका है और इस तरह का कोई भी विस्तारित सत्र बुलाना निश्चित तौर पर अवैध है। ऐसे विस्तारित सत्रों के दौरान किया जाने वाला कामकाज भी गैरकानूनी और निरर्थक की श्रेणी में आता है। राज्यपाल ने यह भी लिखा कि बार-बार इस संबंध में पत्राचार के बावजूद सत्र बुलाने संबंधी असंवैधानिक कदम उठाना, जानबूझकर लिया गया फैसला प्रतीत होता है। राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि इन कारणों से वह उपरोक्त तीन वित्त विधेयकों को पेश करने के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं।
सुझाव: मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाएं
राज्यपाल ने इसके साथ ही मुख्यमंत्री को यह सुझाव भी दिया कि- इस तरह की अनिश्चित प्रक्रिया को जारी रखने के बजाय आप नया मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाने के कानूनी रूप से सही विकल्प का लाभ उठा सकते हैं। मैं दृढ़तापूर्वक आपको सुझाव देता हूं कि आप इस विकल्प का सहारा लें। यदि सरकार की इच्छा है कि विधानसभा सत्र बुलाया जाए, तो पारित किए जाने वाले विधेयकों समेत किए जाने वाले विशिष्ट कामकाज का एक एजेंडा या कार्यक्रम तैयार करके भेजना उपयुक्त होगा, जिसमें अनुरोध किया जाए कि उक्त व्यवसाय को निपटाने के लिए एक मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाया जाए। राज्यपाल ने लिखा- एक बार यह हो जाने पर, सत्र के लिए अनुमति दे दी जाएगी।