प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को कागजरहित बनाने के लिए इंटीग्रेटिड केस मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (आईसीएमआईएस) लॉन्च करते हुए कहा कि न्यायपालिका को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए देश को प्रौद्योगिकी की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए कागजरहित होना बेहद जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी पूरे ‘आर्थिक माहौल’ को बदल सकती है। प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में आईसीएमआईएस लॉन्च करते हुए कहा, “न्यायपालिका को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए फोरेंसिक साइंस और प्रौद्योगिकी बेहद जरूरी हैं..दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है और हमें साथ चलना होगा, ताकि हम पीछे न रहें।”
आईसीएमआईएस मामलों की डिजिटल फाइलिंग यानी ई-फाइलिंग में मदद करती है और वादियों को ऑनलाइन सूचना हासिल करने की सुविधा प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में एक समारोह में देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में आईसीएमआईएस को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम एक ए4 साइज के पेपर का इस्तेमाल करते हैं, तो हम यह नहीं सोचते कि ऐसे एक कागज को बनाने के लिए 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है..कागजरहित होकर हम कई जंगलों, ऊर्जा और पर्यावरण को बचा सकते हैं। कागजरहित प्रणाली में बहुत ताकत है।” मोदी ने कहा, “इस अवसर पर मैं वकीलों से देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए आगे आने का आग्रह करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत को अपनी शानदार अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी के लिए सराहा जाता है। हम कई हॉलीवुड फिल्मों की कीमत से भी कम कीमत में अपने पहले ही प्रयास में सबसे पहले मंगल पर पहुंच गए, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि हम प्रायोगिक विज्ञान में पीछे हैं।” उन्होंने कहा, “हम प्रौद्योगिकी की मदद से आगे बढ़ रहे हैं और अगर हम इसमें पीछे रह गए तो हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।” मोदी ने कहा, “प्रौद्योगिकी पूरे आर्थिक माहौल को बदल सकती है। मेरा अनुभव है कि लोग डिजटीकरण के महत्व को समझने लगे हैं।”