सरकार और प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों के राहत की खबर है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य योगदान घटाकर 10 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. अभी कर्मचारी और नियोक्ता मूल वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान करते हैं.
ईपीएफओ की बैठक के एजेंडा में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य योगदान घटाकर 10 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव था. श्रम सचिव एम सत्यवती ने कहा कि नियोक्ता, कर्मचारियों और सरकार के प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जतायी और उनका मानना था कि इसे 12 प्रतिशत बने रहना चाहिए.
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी इस बैठक में शामिल हुए थे. उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में सीबीटी ने शेयर बाजार में निवेश की सीमा मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का निर्णय किया.
बता दें कि कर्मचारी और नियोक्ताओं की ट्रेड यूनियनों के अलावा कई राज्य सरकारों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. उनका मानना था कि यह फैसला मजदूरों के हित में नहीं है. ट्रेड यूनियन ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया था कि इससे लोगों की अनिवार्य बचत कम होगी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर करेगा.