एक गाँव में एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला रहती थी वह हर रोज सुबह-सुबह अपने घर से निकलती और जोर-जोर से चिल्ला कर भगवान के नाम के जयकारे लगाती वहीँ दूसरी ओर उसकी इस हरकत से उसका पड़ोसी, जो कि पूरी तरह से नास्तिक था बहुत चिढ़ता था।

जैसे ही महिला जयकारा लगाती, वह भी बाहर निकल कर उससे कहता – “क्यों गला फाड़ रही है, दुनिया में कोई भगवान नहीं है।” लेकिन महिला उसकी बात को अनसुना कर देती और जयकारा लगाना जारी रखती।
एक दिन महिला के घर में खाने को कुछ भी नहीं था तो वह बाहर आकर चिल्लाने लगी – “भगवान तेरी जय हो … आज मेरे लिए खाना भेज देना … तब तक मैं मंदिर होकर आती हूँ !”
पड़ोसी ने यह सब सुना तो मजे लेने के लिए वह फ़ौरन दुकान पर गया और खाने की सामग्री लेकर महिला के घर के बरामदे में छोड़ गया।
महिला मंदिर से लौटकर आई तो खाना देख कर प्रसन्नता से चिल्लाई – “भगवान तेरी जय हो … खाना भेजने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !”
पड़ोसी ने सुना तो वह फ़ौरन बाहर आकर बोला – “अरी मूर्ख, यह सब तेरा भगवान नहीं लाया मैं लाया हूँ अपने पैसे से …!!”
पड़ोसी की बात सुन कर महिला दुगुने जोश से चिल्लाई – “भगवान तेरी हजार बार जय हो …. मुझे खाना भेजने के लिए और उसका भुगतान इस कमबख्त नास्तिक की जेब से करवाने के लिए … !!!”
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