नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा मां कुष्ठमांडा ने अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था. माना जाता है जो भक्त मां के इस रूप की आराधना करते हैं, उनपर कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनकी आठ भुजाएं हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. मान्यता है कि मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं.
Navratri 2020: अष्टभुजा देवी के रुप में पूजी जाती हैं मां कूष्मांडा, जानें क्या है मान्यता
Navratri 2020 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्माण्डा की आराधना, जानें पूजा विधि और आरती
माना जाता है कि मां कूष्मांडा को दही और हलवा अति प्रिय है जो भक्त मां की इन चीजों के साथ आराधना करते हैं इनपर मां सदा अपनी कृपा बनाए रखती है. मां कूष्मांडा का आशीर्वाद पाने के लिए आप इन खास रेसिपी का लगाएं भोग.
मां कूष्माण्डा मंत्रः
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां कूष्मांडा पूजा विधिः
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. अब मां कूष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं. फिर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं. पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें.