एक राष्ट्र के रूप में, विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत हम खर्च करने की बजाय बचत करना ज्यादा पसंद करते हैं। चाहे हमारी बचत को एफडी या पीपीएफ में डालना हो या होम लोन की ईएमआई देने के लिए खर्च में कटौती करना हो, हम काफी बचत करते हैं। लेकिन क्या यह बचत भावी खर्चों को पूरा करने के लिए काफ़ी है ख़ासकर जब महंगाई 4%-5% की औसत से बढ़ रही है?
आप अपने महीने की पगार से जो कुछ भी बचाते हैं, वह भविष्य के बड़े खर्चों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं हैं जैसे कि बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, आपका सेवानिवृत्त जीवन आदि। आपकी बचत को निवेश के रास्ते पर ले जाना ज़रूरी है जोकि एक लंबे समय की अवधि में महंगाई से ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखता है। अनुशासित और नियमित रूप से निवेश करना इसे पाने का सबसे अच्छा तरीका है।
म्यूचुअल फंड्स द्वारा प्रस्तावित SIP या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान नियमित रूप से निवेश शुरू करने का एक बेहतरीन तरीका है, भले ही राशि छोटी हो पर लंबे समय में धीरे-धीरे धन की क्षमता रखता है। SIP कई अलग-अलग वजहों से नियमित निवेशकों में मशहूर हो गया है। यह रही अच्छी चीज़ों की सूची, जिसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।
1. एक SIP को न्यूनतम राशि 500 रुपये प्रति माह से शुरू कर सकते हैं।
2. कम राशि निवेश करने पर भी विविधीकरण मुमकिन है
3. SIP द्वारा निवेश करने का बाजार के समय से कोई सरोकार नहीं है ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई बाजार की किसी भी स्थिति (उतार और चढ़ाव) में निवेश जारी रहता है और इस प्रकार प्रति यूनिट की लागत को औसत करता है।
4. दीर्घकालीन कंपाउंडिंग के प्रभाव से लाभ
अब आइए SIP के कुछ ख़ास फायदों को ज़्यादा विस्तार से देखें।
सारे म्युचुअल फंड में उनसे जुड़े जोख़िम का एक तत्व होता है क्योंकि वे बाजार से जुड़े ज़रियों में निवेश करते हैं। हालाँकि, जब आप म्यूचुअल फंड में SIP द्वारा निवेश करते हैं, तो आप रुपये की औसत लागत से बाजार की अस्थिरता को सफलतापूर्वक मात दे सकते हैं। इसका मतलब है आप NAV ज़्यादा होने पर कम यूनिट खरीदते हैं और NAV कम होने पर ज़्यादा यूनिट खरीदते हैं। भविष्य में, अगर बाजार में तेज़ी आती है, तो यूनिटों की औसत लागत जारी NAV से कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर NAV 10 रूपए है, और आप हर महीने 1000 रूपए निवेश करते हैं, तो आपको 100 यूनिट मिलते हैं और अगर यह गिरकर 5 रूपए हो जाता है तो आपको 200 यूनिट मिलते हैं। लंबे समय में, अगर बाजार में उतार-चढ़ाव दोनों आते हैं तो प्रति यूनिट का औसत मूल्य गिर जाएगा और इस प्रकार मुनाफ़े की अस्थिरता को कम कर देगा।
लंबी अवधि के लिए कम मात्रा में राशि SIP में निवेश करके आप धन अर्जित कर सकते हैं और चक्रवृद्धिता के प्रभाव का लाभ उठा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि पहले महीने में आपने जो मुनाफा कमाया है वह दूसरे महीने में आपके मूलधन (मासिक SIP राशि) में वापस निवेश हो जाता है और यह कई वर्षों तक लगातार ज़ारी रहता है और इस प्रकार आपके निवेश की राशि बढ़ जाती हैं। जितने ज़्यादा समय तक आप SIP में निवेश करेंगे, उतना ही ज़्यादा फायदा आपको मिल सकता है। इसलिए लंबे समय तक म्युचुअल फंड में SIP के ज़रिये बाजारों में निवेश करने से आपको धन संचय करने में मदद मिल सकती है।
आइए एक आसान से उदाहरण से इसे स्पष्ट करें। मान लें आपने 20 साल तक इक्विटी फंड में हर महीने 1000 रुपये निवेश किए हैं, जिस पर आपको 8%रिटर्न मिलता है तो आपको केवल 2.40 लाख रुपये के मूलधन पर मिलने वाली अंतिम राशि 5.89 लाख रुपये होगी (1000 X 240 महीने)। उसी SIP को अगर आप 5 साल और बढ़ाकर 25 साल की समय सीमा के लिए कर देते हैं, तो लंबी अवधि में कंपाउंडिंग के प्रभाव से आपको 9.51 लाख रुपये अंतिम राशि में मिलते हैं। 25 साल की अवधि में निवेश किया गया मूलधन केवल 3 लाख रूपए है। (यह उदाहरण केवल संदर्भ के लिए है और इसे निरपेक्ष मूल्य के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। म्यूचुअल फंड में फायदे निश्चित नहीं होते हैं और इसकी कोई गारंटी नहीं है।)
SIP शुरू करने का कोई विशेष समय नहीं होता है। जितनी जल्दी हो सके उतना बेहतर। जितनी लंबी अवधि उतना फायदा होने की संभावना। SIP एक आम इंसान के आर्थिक लक्ष्यों का जवाब है।