सैन्य शासित म्यांमार की एक अदालत ने बुधवार को अपदस्थ नेता आंग सान सू की को भ्रष्टाचार के दो मामलों में दोषी पाया है। इसके साथ ही उनकी सजा की अवधि बढ़ाकर 26 साल कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि सू की को फरवरी 2021 में तख्तापलट के बाद से हिरासत में लिया गया था और उन्हें पहले ही भ्रष्टाचार और उकसावे सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा चुका है।
म्यांमार में 2023 को होना है चुनाव
म्यांमार की अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद सू की की नेशनल लीग डेमोक्रेसी पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने नए चुनाव से पहले इसे भंग करने की बात कही थी। सेना ने 2023 में चुनाव कराने का वादा किया है। सू की की पार्टी ने 2020 के आम चुनाव में भारी जीत हासिल की, लेकिन म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी, 2021 को सू की की चुनी हुई सरकार से सत्ता हथिया ली, यह कहते हुए कि उसने कथित तौर पर चुनाव में धोखाधड़ी की है। इसके साथ ही सू की की पूर्व सरकार के दो वरिष्ठ सदस्यों को भी सजा सुनाई गई।
सेना ने किया था तख्तापलट
म्यांमार में 1 फरवरी 2021 की रात सेना ने तख्तापलट करते हुए सू की हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग तब से देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। हालांकि जनरल मिन आंग हलिंग ने कहा था कि 2023 में आपातकालीन खत्म कर दिया जाएगा। साथ ही आम चुनाव भी कराए जाएंगे। बता दें कि तख्तापलट के बाद लोकतात्रिंक विचारधारा के लोगों और सेना के बीच हुई हिंसा में तकरीबन 940 लोग मारे गए थे।
कौन है आंग सान सू की
म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की का जन्म 19 जून 1945 को हुआ। वह म्यांमार के स्वतंत्रता नायक जनरल आंग सान की बेटी है। 2 साल की उम्र में ही सू की का अपने पिता से साया उठ गया था। बता दें कि 1947 में सू की के पिता की हत्या कर दी गई थी।
1960 में सू की अपनी मां के साथ नई दिल्ली आ गई थीं। उनकी मां को भारत में राजदूत नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने अपना अधिकांश युवा जीवन संयुक्त राज्य और इंगलैंड में बिताया। 1972 में सू की कि शादी आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हिमालयन स्टडीज के ब्रिटिश स्कालर माइकल एरिस से हुई।
आंग सान सू की का राजनीति सफर
आंग सान सू की ने अपनी राजनीति करियर की शुरूआत 1988 में किया। ब्रिटेन से म्यांमार लौटने के बाद सू की सेना के शासन के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गई। सू की ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण यांगून में 1,50,000 की भीड़ के सामने दिया था जहां उन्होंने लोकतंत्र का आह्वान किया। सू की को लोकतंत्र के लिए उनके अहिंसक संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।