देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय चार्तुमास का समय मन गया है: धर्म

चातुर्मास यानी साल के वो चार महीने जब इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य को वर्जित माना जाता है। इस बार 1 जुलाई से चातुर्मास आरंभ हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय चार्तुमास का समय होता है।

चातुर्मास के दौरान यानी 4 माह में विवाह संस्कार, संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। देवोत्थान एकादशी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत दोबारा फिर से हो जाती है।

ऐसी मान्यता है कि इन चार महीनों के दौरान सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं इसलिए सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों थम जाते हैं।

इस बार अधिमास पड़ेगा जिस कारण से आश्विन माह दो होंगे। अधिमास होने के कारण चातुर्मास चार महीने के बजाय पांच महीने का होगा। ऐसे में इसके बाद सभी तरह के त्योहार आम वर्षो के मुकाबले देरी से आएंगे।

जहां श्राद्ध के खत्म होने पर तुरंत अगले दिन से नवरात्रि आरंभ हो जाते लेकिन अधिमास के होने से ऐसा नहीं हो पाएगा। इस बार जैसे ही श्राद्ध पक्ष खत्म होगा फिर अगले दिन से आश्विन मास का अधिमास आरंभ हो जाएगा। क्या होता है अधिमास

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर तीन वर्ष में एक बार एक अतिरिक्त माह आता है। इसे ही अधिमास, मलमास और पुरुषोत्तम माह के नाम से जाना जाता है।

हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के आधार पर चलता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। वहीं एक चंद्र वर्ष  में 354 दिन होते हैं।

इन दोनों का अंतर लगभग 11 दिनों का होता है। धीरे-धीरे तीन साल में यह एक माह के बराबर हो जाता है। इस बढ़े हुए एक महीने के अतंर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना आ जाता है। इसे ही अधिमास कहा जाता है। अधिमास का महीना आने से ही सभी त्योहार सही समय पर मनाए जाते हैं।

चातुर्मास में एक स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है। चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने के लिए विश्राम करते हैं ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव अपने हाथों में लेते हैं।

इसी महीने में ही भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन भी मनाया जाता है।चातुर्मास के दौरान यानी 4 माह में विवाह संस्कार, संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। देवोत्थान एकादशी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत दोबारा फिर से हो जाती है।

आने वाले चार महीने जिसमें सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक का महीना आता है उसमें खान-पान और व्रत के नियम और संयम का पालन करना चाहिए।

दरअसल इन 4 महीनो में व्यक्ति की पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है इससे अलावा भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इन चार महीनों में सावन का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में जो व्यक्ति भागवत कथा, भगवान शिव का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान करेगा उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होगा।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com