भारत में चीतों को फिर से अस्तित्व में लाने वाली इस घटना की कहानी दुनिया को दिखाने के लिए प्रोजेक्ट चीता वेब सीरीज के प्रस्ताव को केंद्र ने मंजूरी दे दी है। इस वेब सीरीज को चार भागों में बनाया जाएगा। इसमें चीतों की विलुप्ति के बाद अफ्रीकी महाद्वीप से भारत में इन्हें बसाने की कठिन कहानी बयां की जाएगी।
करीब 75 साल पहले भारत के जंगलों से दुनिया का सबसे तेज जानवर चीता विलुप्त हो गया था। अब अगर फिर से देश के जंगलों में चीते की गुर्राहट गूंजी है तो इसके पीछे तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच केंद्र सरकार के भगीरथ प्रयास और भारतीय संस्कृति में मनुष्यों के साथ जीव-जंतुओं के सहअस्तित्व की संस्कृति को सभी सलाम कर रहे हैं।
ऐतिहासिक परिघटना के तहत पहली बार दुनिया में अलग-अलग जलवायु वाले एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में चीतों को सफलतापूर्वक बसाया गया। भारत में चीतों को फिर से अस्तित्व में लाने वाली इस घटना की कहानी दुनिया को दिखाने के लिए प्रोजेक्ट चीता वेब सीरीज के प्रस्ताव को केंद्र ने मंजूरी दे दी है।
चीतों की विलुप्ति की कहानी
इस वेब सीरीज को चार भागों में बनाया जाएगा। इसमें चीतों की विलुप्ति के बाद अफ्रीकी महाद्वीप से भारत में इन्हें बसाने की कठिन कहानी बयां की जाएगी। पता चला है कि वेब सीरीज का फिल्मांकन संभवत: ‘प्रोजेक्ट चीता’ की दूसरी वर्षगांठ के आसपास शुरू होगा।
गौरतलब है कि 17 सितंबर को प्रोजेक्ट चीता की दूसरी वर्षगांठ है। इसी दिन 2022 में अफ्रीकी देश नामीबिया से चीते पहली बार भारत लाए गए थे। वेब सीरीज को डिस्कवरी नेटवर्क पर 170 देशों में विभिन्न भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा।
प्रोजेक्ट चीता पर वेब सीरीज के प्रस्ताव को मंजूरी
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के उप महानिरीक्षक वैभव चंद्र माथुर ने 21 जुलाई को मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन को लिखे पत्र में कहा कि प्राधिकरण की तकनीकी समिति ने प्रोजेक्ट चीता पर वेब सीरीज के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
पत्र में शेन फिल्म्स और प्लांटिंग प्रोडक्शंस को मानक नियमों और शर्तों के अनुसार कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में फिल्मांकन करने की सुविधा मुहैया कराने का अनुरोध किया गया। राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने छह अगस्त को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
वेब सीरीज के जरिये चीतों को भारत लाने में आई कठिनाइयों, चीतों की स्थिति और भविष्य की अपेक्षाओं को बताने के साथ ही लोगों को इस प्रोजेक्ट की बारीकियों से भी अवगत कराया जाएगा। वेब सीरीज बनाने वालों ने परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता को लेकर मध्य प्रदेश पर्यटन और ‘एमपी टाइगर फाउंडेशन’ से संपर्क किया है।
भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ
एक अधिकारी ने कहा, वित्तीय सहायता संभव नहीं है, लेकिन हम वेब सीरीज के फिल्मांकन के लिए पूरा सहयोग देंगे।गौरतलब है कि अब तक अफ्रीका से 20 चीते भारत लाए गए हैं। इनमें से आठ चीते सितंबर 2022 में नामीबिया से लाए गए थे, जबकि फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। हालांकि भारत आने के बाद से आठ वयस्क चीतों की मौत हो गई है इनमें तीन मादा चीता हैं। भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें से 12 जीवित हैं।
चीतों को लाने को लेकर केन्या से भी बातचीत चल रही
अधिकारियों के अनुसार, भारत ने वर्ष के अंत तक दक्षिण अफ्रीका से और चीते लाने के प्रयासों में भी तेजी ला दी है। इस संबंध में वार्ता के लिए एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र दक्षिण अफ्रीका जाएगा। चीतों को लाने को लेकर केन्या से भी बातचीत चल रही है। भारत में चीतों को लाने की कार्य योजना में दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से पांच वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 12-14 चीते लाने की बात कही गई है।