दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी की मनमानी को रोकने के लिए दिल्ली एजुकेशन बिल (फीस तय करने और नियमन) अधिनियम 2025 को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इस संबंध में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली गजट अधिसूचना जारी की है।
इसके तहत फीस बढ़ोतरी के खिलाफ शिकायत के लिए 15 फीसदी अभिभावकों की सहमति जरूरी है। इस कानून के तहत दिल्ली के 1700 से ज्यादा निजी स्कूल दायरे में आएंगे। फीस निगरानी के लिए तीन स्तर की व्यवस्था की गई है। इसमें स्कूल स्तर पर फीस रेगुलेशन कमेटी, जिला स्तर पर फीस अपील कमेटी और संशोधन समिति को शामिल किया गया है।
बिल के संबंध में दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि शिक्षा विभाग अब अधिनियम/नियमों में निर्दिष्ट सभी प्रक्रियाओं जैसे स्कूलों की फीस प्रस्तावों की जांच, अनुमतियां, रिपोर्टिंग और निगरानी को लागू करना शुरू करेगा। पूर्व सरकारों ने 27 वर्षों तक इस महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज किया लेकिन हमारी सरकार ने कुछ ही दिनों में इस ऐतिहासिक सुधार को लागू कर दिया। बेहद कम समय में एक मजबूत कानून लागू किया, जिसने दिल्ली में प्रशासनिक दक्षता और सुशासन का नया मानदंड स्थापित किया है।
शिक्षा व्यवसाय नहीं अधिकार
उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवसाय नहीं, अधिकार है। सरकार दिल्ली के हर बच्चे को ईमानदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कानून न केवल अभिभावकों की चिंताओं का समाधान करेगा बल्कि शिक्षा प्रणाली में जनता का विश्वास भी मजबूत करेगा।
अभिभावकों व संरक्षकों से अपील की कि वह इस नए कानून का समर्थन करें और पारदर्शिता बनाए रखने में योगदान दें। यह ऐतिहासिक अधिनियम और इसके नियम निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से की जाने वाली फीस बढ़ोतरी को रोकने, अभिभावकों को सशक्त बनाने और शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।
स्कूलों की जवाबदेही होगी सुनिश्चित
सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि अनुचित और मनमानी फीस बढ़ोतरी को पूरी तरह रोका जाए। स्कूलों को अपनी फीस संरचना, व्यय और वित्तीय आवश्यकताओं को पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत करना होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस नए कानून के लागू होने से अभिभावकों को फीस से जुड़ी लगातार आने वाली समस्याओं का समाधान मिलेगा और स्कूलों की निगरानी संभव होगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे लिए अभिभावकों के हित सर्वोपरि हैं। इस परिवर्तनकारी कदम से न केवल अभिभावकों का विश्वास बढ़ेगा बल्कि स्कूलों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगा। दिल्ली सरकार शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी, जवाबदेह और अभिभावक हितैषी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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