द्वारका, डाबड़ी, शंकर रोड, चांदनी चौक, बल्लीमारान समेत कई इलाकों में बिजली के खंभों व पेड़ों में उलझे मांझे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। हाल ही में एक यातायात पुलिसकर्मी लटकते मांझे की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके अलावा परिंदे भी इन मांझों की चपेट में आ रहे हैं।
पेड़ों में उलझे और खंभों में लटके मांझे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। इनकी चपेट में आने से लोग घायल हो रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को हो रही है। यही नहीं, राहगीर व दो पहिया वाहन चालक भी फंसकर चोटिल हो रहे हैं। आलम यह है कि मुख्य सड़क से लेकर चौक-चौराहों व मोहल्लों में बिजली के खंभों में यह मांझे उलझे और लटके हुए हैं।
अभी हाल ही में एक यातायात पुलिसकर्मी लटकते मांझे की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके अलावा परिंदे भी इन मांझों की चपेट में आ रहे हैं। द्वारका, डाबड़ी, शंकर रोड, चांदनी चौक, बल्लीमारान समेत कई इलाकों में बिजली के खंभों व पेड़ों में उलझे मांझे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। पुरानी दिल्ली के दरियागंज से महिपालपुर जाने वाले कुणाल ने बताया कि लोगों की चंद मिनट की खुशी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
पतंगबाजी के शौकीन इन बातों का खयाल नहीं रखते हैं। उन्होंने बताया कि सुबह जब वह ऑफिस के लिए निकले तो मांझा उनकी बाइक के आगे वाले पहिए पर उलझ गया, जिससे वह गिरते-गिरते बचे हैं। उन्होंने बताया कि रात के समय मांझे पेड़ों में उलझे रहते हैं, जोकि दिखते नहीं है। ऐसे में कोई बड़ी घटना घट सकती है।
घटना से बचने के लोग कर रहे ये उपाय
मांझे से होने वाली घटनाओं से वाहन चालक खुद को बचाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। इंद्रपुरी निवासी चेतन ने बताया कि वह मांझे से बचने के लिए विभिन्न सुरक्षा के इंतजाम करते हैं। वह अपनी गर्दन बचाने के लिए नायलॉन से बना नेक-बेल्ट व सर्वाइकल बेल्ट पहनते हैं। इसके अलावा उनके अन्य मित्र या परिजन जिनके पास दो पहिया वाहन है, वे गले में कोई मोटा कपड़ा बांधकर चलते हैं।
चाइनीज मांझे पर रोक बेअसर
पतंगबाज पेंच लड़ाने में धागे की मजबूती के लिए चाइनीज मांझा का उपयोग करते हैं। हालांकि, चाइनीज मांझा पर प्रतिबंध लगा है। इसके बावजूद पुलिस की आंखों में धूल झोंककर यह बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा है। यही नहीं, इसकी घर बैठे ऑनलाइन डिलीवरी की जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यह देसी मांझे से ज्यादा तेज होता है और दूसरा यह आसानी से दिखाई नहीं देता है। इस कारण लोगों को गंभीर घाव हो जाते हैं।
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