उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि भविष्य में यदि डीडीए की जमीन पर नए या दोबारा अतिक्रमण की कोई घटना होती है तो संबंधित अधिकारियों, इंजीनियरों का सामान्य निलंबन या जांच के अलावा आपराधिक आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज होगी।
डीडीए की जमीन पर अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे अतिक्रमण पर लगाम लगाने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है। अब ऐसे मामलों में अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज होगी।
उन्होंने मयूर विहार फेज-1 से एनएच-24 तक पुस्ता रोड के पास डीडीए की जमीन पर दोबारा हुए अतिक्रमण मामले में फील्ड स्टाफ को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया। निलंबित किए गए कर्मचारियों में मयूर नेचर पार्क प्रोजेक्ट के लिए जिम्मेदार सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता भी शामिल हैं।
उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि भविष्य में यदि डीडीए की जमीन पर नए या दोबारा अतिक्रमण की कोई घटना होती है तो संबंधित अधिकारियों, इंजीनियरों का सामान्य निलंबन या जांच के अलावा आपराधिक आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज होगी।
वहीं, मयूर विहार फेज-1 मामले में आरोपी की जवाबदेही सुनिश्चित करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई को सुविधाजनक बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई है। इसके अलावा मामले में डीडीए कर्मियों और बाहरी लोगों की मिलीभगत व संभावित आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी। जांच में आरोपी पाए जाने वालों पर उचित कार्रवाई होगी। इस मामले में उपराज्यपाल ने डीडीए के उपाध्यक्ष को सात दिनों के भीतर जांच और कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यह है मामला
मयूर विहार फेज-1 से एनएच-24 तक के स्ट्रेच में डीडीए मयूर नेचर पार्क परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है। यह यमुना के बाढ़ क्षेत्र के पुनरुद्धार और कायाकल्प के लिए महत्वपूर्ण है। जून 2024 में हाईकोर्ट और एनजीटी के निर्देश पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया गया था, जिसके बाद करीब 390 हेक्टेयर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था।
इस अभियान के तहत क्षेत्र से करीब 6000 अवैध सरंचनाओं, 4 गैरकानूनी रूप से बनीं नर्सरियां, 250 एकड़ जमीन पर की गई अवैध खेती और करीब 40 गैरकानूनी बोरवेल को हटाया गया था। कुछ दिनों के बाद यहां फिर से अतिक्रमण हो गया।