राजनीतिक पार्टियां अक्सर विरोधियों को चित्त करने के लिए नए-नए पैंतरों का इस्तेमाल करती हैं। राजस्थान में इन दिनों ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। दरअसल राजस्थान के बाड़मेर में लगने वाली रिफाइनरी का अब 16 जनवरी को पीएम मोदी ‘शिलान्यास’ नहीं ‘कार्य शुभारंभ’ करेंगे। इसी के चलते राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा हुआ। यहां राजस्थान सरकार की ओर से कार्यक्रम के लिए जो आमंत्रण पत्र छपवाए गए है उसमें भी सियासत सामने आ गई। जिसके कारण सरकार अपने आप को घिरा महसूस कर रही है। जबकि विपक्षी कांग्रेस ने रिफाइनरी को लेकर हमले तेज कर दिए हैं।
इन दिनों पचपदरा रिफाइनरी शिलान्यास का आमंत्रण पत्र चर्चा का विषय बना हुआ। दरअसल राजस्थान सरकार ने आमंत्रण पत्र में ‘शिलान्यास’ शब्द के स्थान पर ‘कार्य शुभारंभ’ कर दिया। सरकार का यह कदम विरोधियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। क्योंकि कुछ दिन पूर्व ही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि इस रिफाइनरी का शिलान्यास सितंबर 2013 में किया जा चुका है।
बाड़मेर के पचपदरा में लगने जा रही देश की सबसे आधुनिक रिफाइनरी शुरू से ही विवादों का शिकार रही है। पहले रिफाइनरी की जगह फिर एमओयू और बाद में शिलान्यास कराने की राजनीति के कारण इसका निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो सका है। अब 16 जनवरी को पीएम मोदी इस रिफाइनरी का कार्य शुभारंभ करेंगें। इससे पूर्व वर्ष 2013 सितंबर को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस रिफाइनरी का शिलान्यास कर चुकी हैं।
राजस्थान सरकार की ओर से 16 जनवरी के कार्यक्रम के लिए छपवाए गए आमंत्रण पत्र में ‘कार्य शुभारंभ’ शब्द का इस्तेमाल किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सरकार का कदम राजस्थान की सीएम राजे के फेस सेविंग के लिए है। वहीं गहलोत सीएम राजे को रिफाइनरी के कार्य में देरी के लिए जिम्मेदार बताते आए हैं।
एचपीसीएल और राजस्थान सरकार के संयुक्त उपक्रम के तहत बनने जा रही पचपदरा रिफाइनरी करीब चार वर्ष में बनकर तैयार होगी। बीएस—6 मानक वाली यह रिफाइनरी देश की सबसे आधुनिकतम रिफाइनरी होगी। जानकारी के अनुसार यह रिफाइनरी दस हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देगी और उत्पादन क्षमता नौ मिलियन टन सालाना होगी। इस रिफाइनरी में राजस्थान सरकार की हिस्सेदारी करीब 26 प्रतिशत होगी।