डॉक्टरों की लापरवाही से एक दंपति को 4 साल तक मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ा. टीबी की दवा चलने के साथ ही उन्हें प्रैग्नेंसी की सलाह दे दी गई. इससे महिला की हालत खराब हो गई और पहला बच्चा भी हाथ से जाता रहा. लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली कंस्यूमर फोरम ने पीड़िता को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.