दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने पहले ही यह आशंका जताई थी कि सर्दियों के मौसम में कोरोना वायरस का संक्रमण और बढ़ सकता है, लेकिन अब तो यह भी देखने को मिल रहा है कि ठंड के साथ-साथ प्रदूषण ने भी कोरोना के खतरे को और बढ़ा दिया है और कहा जा रहा है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, वैसे-वैसे लक्षण वाले कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।
अगर ऐसा होता है कि सांस संबंधी बीमारियों और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है। आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव बताते हैं कि अमेरिका और .यूरोप में हुए कुछ अध्ययनों में यह पता चला है कि कोरोना से होने वाली मौतों के लिए प्रदूषण भी कुछ हद तक जिम्मेदार है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम 2.5 में प्रदूषण के कण पर कोरोना वायरस कुछ समय के लिए हवा में मौजूद रहता है। इस दौरान ऐसी जगहों पर सांस लेने से वायरस के शरीर में जाने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसी स्थिति में बिना मास्क के घर से बाहर जाना खतरनाक हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वॉयरोलॉजिस्ट और वेलकम ट्रस्ट डीबीटी इंडिया अलायंस के सीईओ प्रोफेसर शाहिद जमील बताते हैं कि सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का साथ मिल जाने से कोरोना वायरस की उम्र बढ़ जाती है और चूंकि इस मौसम में धूप कम ही निकलती है, ऐसे में संक्रमण की संभावना भी ज्यादा हो जाएगी।
कुछ महीने पहले एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि कोरोना से संक्रमित 70-80 फीसदी मरीजों में लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हो सकता है कि लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाए और इसकी वजह ठंड और प्रदूषण हो सकती है।
सर्दियों में अस्थमा और हृदय रोगियों को कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा। इसलिए ऐसे मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है। दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया बताते हैं कि सर्दी में कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है, क्योंकि आमतौर पर कोई भी इंफ्लुएंजा वायरस ठंड के दिनों में तेजी से फैलता है।