राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार एक तरफ जहां संकट से जूझ रही है वहीं अब जोधपुर में 11 पाकिस्तानी शरणार्थियों का शव मिलना चर्चा का केंद्र बन गया है. पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने भी इस घटना को लेकर गहलोत सरकार की आलोचना की है.
वसुंधरा राजे ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”जोधपुर के देचू गांव में 11 पाक शरणार्थियों की मृत्यु एक दिल हिला देने वाली घटना है. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये. ये नतीजा है सरकार के लापता होने का!
पूर्व सीएम राजे का यह ट्वीट बेहद अहम माना जा रहा है. दरअसल, सियासी तौर पर देखा जाए तो वसुंधरा राजे बीजेपी की हार के बाद से ही खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब वो विपक्षी नेता के तौर पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले नजर आई हों. यहां तक कि राजस्थान में फिलहाल जो सियासी हालात हैं, उसमें भी वसुंधरा राजे की भूमिका अहम मानी जा रही है.
दरअसल, सचिन पायलट ने 18 अन्य विधायकों के साथ जब कांग्रेस से बगावत की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी खतरे में आ गई. हालांकि, गहलोत ने जरूर फौरी तौर पर डैमेज कंट्रोल कर लिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं ये भी हैं कि वसुंधरा राजे की कम दिलचस्पी ने भी गहलोत को संजीवनी दी है. पूर्व सीएम और मौजूदा सीएम के तालमेल की चर्चा करते हुए वसुंधरा राजे का सरकारी बंगला खाली न कराने का उदाहरण भी दिया जाता है.
इतना ही नहीं, अब जबकि 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है तो कांग्रेस के अलावा बीजेपी ने भी अपने विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है. विधायकों को गुजरात भी भेजा गया है. इस बीच एक खबर ये भी आई कि वसुंधरा गुट के 6 विधायकों ने बाहर जाने से मना कर दिया और पूरा दिन हेलिकॉप्टर उनके इंतजार में खड़ा रहा.
इन तमाम सियासी हलचल के बीच रविवार को जब जोधपुर के देचू गांव में खेतों से 11 पाकिस्तानी शरणार्थियों के शव मिलने की खबर आई तो वसुंधरा राजे ने इसे गहलोत सरकार के लापता होने का नतीजा बताया. पिछले 6 महीनों में वसुंधरा का गहलोत पर यह पहला हमला माना जा रहा है. हालांकि, दूसरी तरफ अब जानकारी ये आई है कि शरणार्थियों के परिवार के सदस्य ने ही इस हत्याकांड को अंजाम दिया है.