जीएसटी के क्रियान्वयन में खामियां उजागर करते हुए देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि दो साल बाद भी इनवॉयस मैचिंग के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही दखलंदाजी रहित जिस ई-टैक्स प्रणाली की कल्पना की गई थी, वह भी अब तक साकार नहीं हुई है। सीएजी ने यह टिप्पणी जीएसटी पर उसकी पहली ऑडिट रिपोर्ट में की है। यह रिपोर्ट मंगलवार को लोक सभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी की रिटर्न प्रणाली की जटिलता और तकनीकी दिक्कतों के चलते इनवॉयस मैचिंग के नियम को वापस लेने के कारण जीएसटी सिस्टम पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की धोखाधड़ी होने का खतरा मंडराने लगा है।
इनवॉयस मैचिंग और रिफंड स्वत: जारी न होने के चलते जीएसटी अनुपालन के तंत्र की जैसी कल्पना की गई थी, वह अब तक साकार नहीं हो पाई है। सीएजी का कहना है कि अब तक की प्रगति और बदलावों को देखते हुए पता चलता है कि राजस्व विभाग, सीबीआइसी और जीएसटीएन के बीच समन्वय का अभाव है। साथ ही ये जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले सिस्टम का परीक्षण करने में भी असफल रहे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी सिस्टम के स्थिर होने पर अनुपालन बेहतर होगा लेकिन रिटर्न फाइलिंग में गिरावट का ट्रेंड दिख रहा है। खास बात यह है कि जितनी संख्या में जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल हो रहे हैं, उसके मुकाबले जीएसटीआर-1 की संख्या काफी कम है। रिपोर्ट में जीएसटीआर-3बी के दाखिल करने में बरती जा रहीं खामियों की ओर भी ध्यान दिलाया गया है।
सीएजी का कहना है कि जीएसटीआर-3बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का दावा किया जाता है, लेकिन इसे वैरीफाई करने की व्यवस्था नहीं है। जीएसटी के तकनीकी सिस्टम में कमियां उजागर करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सिस्टम अयोग्य करदाताओं को कंपोजीशन स्कीम का लाभ लेने से नहीं रोक पाया। साथ ही जो कारोबारी कंपोजीशन स्कीम की सीमा को पार कर जाते हैं, उनके बारे में भी सिस्टम में कोई अलर्ट की व्यवस्था नहीं है।