टैटू बनवाने का चलन काफी लोकप्रिय हो गया है. टैटू बनवाने से त्वचा पर लालिमा, सूजन, मवाद आने के साथ दर्द होना, आदि तरह के त्वचा संक्रमण हो सकते हैं, इसके अलावा बैक्टीरिया स्टाफ या स्ट्रेप के कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का भी डर रहता है.
टैटू बनवाने से चर्म रोग, हेपेटाइटिस और एचआईवी जैसी संक्रमित बीमारियां होने का खतरा है. टैटू बनवाने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
टैटू उकेरने वाली सूईयों को शरीर में गहरा चुभाया जाता है, जिससे मांसपेशियों तक को नुकसान पहुंचता है, शरीर पर तिल वाले स्थान पर टैटू नहीं बनवाना चाहिए.
टैटू बनाने वालों द्वारा प्रयोग की जाने वाली नीले रंग की स्याही में कोबाल्ट और एल्यूमिनियम होता है. जबकि लाल रंग की स्याही में मरक्यूरियल सल्फाइड और दूसरे रंगों की स्याहियों में शीशा, कैडियम, क्रोमियम, निकल, टाइटेनियम और कई तरह की दूसरी धातुएं मिली होती हैं. जो त्वचा पर एलर्जी कर सकती हैं.