घर में देवियों का आगमन : आज लोग बेटियों में ही अपना भविष्य सुरक्षित समझते हैं

भले ही समाज में कुछ लोग बेटी को पराया धन मानते हों, लेकिन शिक्षित समाज में यह सोच तेजी से बदल रही है। यही वजह है कि संतान सुख से वंचित दंपति भी आज बेटी की चाह रखते हैं।

जिला प्रोबेशन विभाग के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। बीते दो साल में राजकीय शिशु निकेतन से 45 बच्चों को गोद लिया गया है। इनमें 27 बेटियां शामिल हैं। बेटियों को गोद लेने का आंकड़ा करीब 60 फीसदी है। विभाग भी समाज में बेटियों की मजबूत होती स्थिति को देखकर बेहद उत्साहित है।

प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने बताया कि कुछ ही दिन पहले असम के एक दंपति ने नन्हीं बच्ची को गोद लिया है। बच्ची को सौंप दिया है। बच्ची कई महीने पहले विकासनगर में लावारिस पड़ी मिली थी, लेकिन आज वही बेटी किसी के आंगन को खुशियों से रोशन कर रही है।

विभाग की ओर से कई साल पहले ‘पालना’ कार्यक्रम शुरू किया गया। इसमें केदारपुरम स्थित राजकीय बालिका निकेतन के बाहर पालना (बच्चों का झूला) लगाया गया था।

ताकि, कोई भी दंपति बेटी होने पर उसे फेंके नहीं, बल्कि पालने में छोड़ दे। उस बच्ची की परवरिश राजकीय शिशु निकेतन में विभाग की निगरानी में की जाती है।

अब वो समय नहीं रहा जब बेटियों को उपेक्षित नजर से देखा जाता हो। आज लोग बेटियों में ही अपना भविष्य सुरक्षित समझते हैं। प्रोबेशन विभाग भी बेटी प्रोत्साहन को लेकर लगातार प्रयासरत रहता है।

 

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