गोरखपुर में एक ही रात में परिवार के सात लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था, कत्लेआम में अकेली जिंदा बची थी मासूम बच्ची, हत्यारे जिसे मृत समझकर चले गए। 20 नवंबर 2001 की वह रात शायद किसी को भूली हो।
18 साल पहले हुए इस कत्लेआम में मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी कातिलों की बर्बरता का खुलासा हुआ। पुलिस की जांच रिपोर्ट भी चौंकाने वाली थी। वारदात को अंजाम देने वालों में उन लोगों का नाम आया, जिनका पेट इस परिवार ने ही भरा था। पेट भरने वालों का कत्ल करते वक्त उनके हाथ तक नहीं कांपे। आज तक कातिल पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
खुद सोचिए, जिस घर के मुखिया, उसकी पत्नी, दो बेटों, बहू, बच्चों समेत सात लोगों की लाश पड़ी हो उसे कोई देखे भी कैसे। वह भी तब जब बच्चों को दीवार पर पटक पटक कर मार डाला हो। यह वह घटना थी जब मोहल्ले के लोग राकेश राय और उनके परिवार के बारे में सोचकर रो पड़ते थे। घरों से छोटे बच्चों को हटा दिया गया था। क्योंकि उनके बाल मन के सवाल का जवाब कौन देगा? कई साल तक लोगों के मन से वह घटना नहीं मिट सकी या यूं कहे कि आज भी उसे वह भूल नहीं सके हैं।
18 साल पहले दरूस्तमपुर के शिवाजी नगर कॉलोनी में बैंककर्मी राकेश राय के परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। बेरहमी ऐसी की देखकर किसी की भी रूह कांप जाए। तीन मासूम बच्चों को दीवाल पर पटक-पटक कर मारा गया था। अगली सुबह जब छठ पर्व को लोग घरों से निकले और राकेश राय के घर कर खुला दरवाजा देखकर जो भी अंदर गया उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
पड़ोसी अमित सिंह बताते हैं कि यकीन मानिए बच्चों की लाश देखकर गश आ गया था। बस एक ही सवाल था, कौन हो सकता है, इतना बड़ा दरिंदा ?
इन सब के बीच एक कोने पर राकेश की बेटी पड़ी थी। सिर से खून बह रहा था, सांसे उखड़ी-उखड़ी चल रही थी। किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह उसके पास तक जा सके। यह वह समय था, तब तक पुलिस भी पहुंच चुकी थी। तत्काल उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया। सिर पर चोट आने की वजह से होश आने में भी लंबा समय लग गया था। कई महीनों तक वह सदमे में रही।
मौत को खुद बुलाया था
पुलिस की जांच में तब सामने आया था कि बदमाश वारदात के लिए जगह चिह्नित करने दोपहर में राकेश के घर भीख मांगने के बहाने गए थे। भूखा समझकर उनकी पत्नी ने घर में दो लोगों को बुलाकर भर पेट भोजन कराया था तब उन्हें भी नहीं बता था कि जिसे वह निवाला दे रही है वहीं रात में उन्हें और परिवार को मौत के घाट उतार देगा।
बेबस भरी नजरों से बच्चों की मौत देखा था परिवार
हत्यारे कितने क्रूर थे इसे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। पोस्टमार्टम में जो जिक्र था उसके मुताबिक राकेश को मारने के बाद बच्चों को मारा गया था फिर परिवार के अन्य सदस्यों को मौत के घाट उतारा गया था। उस समय को सोचिए जब सिर पर मौत खड़ी हो मालूम हो कि मरना ही है और सामने ही छोटे छोटे बच्चों को बेरहमी से मारा जा रहा हो। यानी दरिंदगी की मौत से पहले की क्रूरता ने उस परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया था। बाद में होश में आई बेटी ने भी इसकी पुष्टि की थी कि हम लोगों के सामने ही बच्चों को मारा गया था।