कोरोना वायरस की उत्पत्ति(origins of Coronavirus) की जांच को लेकर चीन पर दबाव बढ़ रहा है। यहां तक कि वैज्ञानिक कोरोना वैश्विक महामारी की जड़ों में जाने के लिए और अधिक स्पष्टता की मांग कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से कोविड-19 की उत्पत्ति के संबंध में खुफिया विभाग से 90 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट मांगे जाने के बाद से ही चीन की चिंता बढ़ गई है। इसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने भी कहा है कि वह कोरोना की उत्पत्ति की दोबारा जांच जल्द शुरू कर सकता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया के मेजबान एंड्रयू बोल्ट ने बुधवार को फ्लिंडर्स मेडिकल सेंटर में एंडोक्रिनोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर निकोलाई पेत्रोव्स्की से बात की जिन्होंने कहा कि दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय को चीन ने धोखा दिया था। एंड्रयू बोल्ट ने अपने शो द बोल्ट रिपोर्ट में कहा- आखिरकार बहुत सारे विशेषज्ञ अब अच्छा कह रहे हैं वास्तव में अब ऐसा लग रहा है कि यह वायरस शायद उस चीनी लैब से निकला है और अब चीन के पसीने छूट रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर पेत्रोव्स्की ने उन्हें बताया कि हालांकि कुछ चीनी वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि COVID-19 पैंगोलिन से उत्पन्न हुआ है, लेकिन ऐसा होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि हर कोई पैंगोलिन पर उंगली उठाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि अधिकांश वायरोलॉजिस्ट अब स्वीकार करते हैं कि यह संभावना नहीं है कि यह वायरस पैंगोलिन से आया है। “पैंगोलिन और COVID-19 में स्पाइक प्रोटीन के बीच समानता है, और अपने आप में इसे अत्यधिक संदिग्ध माना जा सकता है।
बता दें कि कोरोना वायरस की पहली बार चीन के वुहान में पुष्टि हुई थी। इसके बाद से दुनियाभर में यह बात उठने लगी थी कि कोरोना वायरस चीन की एक प्रयोगशाला में तैयार हुआ है और गलती से बाहर आ गया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कोविड महामारी के लिए सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया था।