केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र से संबंधित विधेयकों को किसानों को आर्थिक आजादी देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि विधेयक के कानून बनाने का सबसे बड़ा फायदा उन छोटे किसानों को मिलेगा जिनकी खेती की जमीन छोटी होने की वजह से उन्हें बड़े निवेशक नहीं मिल पाते। कृषि मंत्री ने कहा कि दोनों ही विधेयकों में किसानों और उनके जमीन की सुरक्षा के पूरे प्रावधान किए गए हैं।
किसानों से करार करने वाला कोई भी निवेश प्रस्ताव जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा नहीं हो सकेगा, इसके प्रावधान विधेयक में किए गए हैं। विधेयकों पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री तोमर ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने भी अपने घोषणा पत्र में इन्हीं मुद्दों को लागू करने का प्रस्ताव किया था, लेकिन आज राजनीतिक कारणों से वह इसका विरोध कर रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009-10 में कृषि का कुल बजट 12 हजार करोड़ रूपये हुआ करता था जो आज बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रूपये हो चुका है। यह केंद्र सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि निवेशक और किसानों के बीच किसी भी विवाद की स्थिति में एसडीएम के जरिए मामले का समाधान खोजा जाएगा। पहले उनके बीच समझौते की कोशिश कराई जाएगी। किसी स्थिति में समझौता न हो पाने की स्थिति में किसान को निवेशक को अधिकतम उतनी ही राशि लौटाने की जरूरत होगी जितना कि उसने नकदी या सामान के रूप में निवेशकर्ता से प्राप्त किया है। वहीं करार का उल्लंघन करने पर निवेशक पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि किसी करार के होने के समय फसल की एक न्यूनतम कीमत तय होगी। किसी प्राकृतिक आपदा के बाद भी निवेशक यह मूल्य किसान को देगा। जबकि अगर फसल की तैयारी के बाद फसल का बिक्री मूल्य दोगुना हो जाता है तो इसका कुछ फीसदी निवेशक को किसान को भुगतान करना पड़ेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किसानों की आय उसके कृषि लागत मूल्य से डेढ़ गुना करने का काम किया है। इसी के मद्देनजर धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1410 रूपये (2015 में) से बढ़ाकर आज 1815 रूपये किया जा चुका है। गेहूं का समर्थन मूल्य 1525 रूपये से बढ़कर 1925 रूपये, मूंगफली का 4030 रूपये से बढ़कर 5090 रूपये किया जा चुका है। सरकार ने रिकॉर्ड मात्रा में दलहन और तिलहन फसलों की खरीदारी की है।
लोकसभा में कृषि क्षेत्र से जुड़े ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’ और ‘कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020’ पेश किया गया था, जिसे चर्चा के बाद पास कर दिया गया। विपक्ष ने इस विधेयक का पुरजोर विऱोध किया और इसे किसान विरोधी बताया। वहीं, सरकार के सहयोगी अकाली दल ने भी सरकार का जबरदस्त विरोध किया। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने बिल के विरोध में सरकार से इस्तीफा दे दिया।