कालाष्टमी पर ‘शिववास’ योग समेत बन रहे हैं ये 3 अद्भुत संयोग

धार्मिक मत है कि कालाष्टमी पर भगवान शिव और काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं। इस दिन साधक विशेष अनुष्ठान कर तंत्र विद्या सीखते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

 हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी 30 मई यानी आज है। यह दिन काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस दिन देवों के देव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। साधक कालाष्टमी पर विशेष अनुष्ठान कर तंत्र विद्या सीखते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। धार्मिक मत है कि कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं। पंडित हर्षित शर्मा जी की मानें तो कालाष्टमी पर दुर्लभ शिववास का योग बन रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। आइए , आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-  

आज का पंचांग (Panchang 30 May 2024)

शुभ मुहूर्त 

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को है। इस दिन अष्टमी तिथि दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 31 मई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इसके लिए 30 मई को कालाष्टमी मनाई जा रही है।  

योग

ज्योतिषियों की मानें तो कालाष्टमी पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग सुबह 05 बजकर 31 मिनट से लेकर 07 बजकर 31 मिनट तक है। साधक प्रात: काल में स्नान-ध्यान के बाद काल भैरव देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। इस दिन बव और बालव करण के योग बन रहे हैं। इसके बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष तीनों करण को शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वर प्राप्त होता है।

शिववास योग

कालाष्टमी पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 11 बजकर 44 मिनट से हो रहा है। इस समय से ही ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत हो रही है। इस समय से भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।  

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 14 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 01 बजकर 03 मिनट पर

चंद्रास्त- दोपहर 11 बजकर 44 मिनट पर

पंचांग

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 12 मिनट से 07 बजकर 33 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 03 बजकर 46 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 08 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 35 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबल

भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुंभ

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