कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठ रहे हैं. खासतौर पर गाड़ियों की अदला-बदली को लेकर यूपी पुलिस और एसटीएफ से कई सवाल पूछे जा रहे थे.
एनकाउंटर की एफआईआर में एसटीएफ ने लिखा है कि रक्षा और सुविधा के अनुसार विकास दुबे को 3 सरकारी गाड़ियों में अदलते बदलते आ रहे थे.
दरअसल, विकास दुबे को सफारी गाड़ी में लाया जा रहा था, लेकिन एनकाउंटर के दौरान पुलिस ने दावा किया था कि विकास दुबे टीयूवी गाड़ी में बैठा था, जो पलट गई थी.
गाड़ी बदलने को लेकर कानपुर पुलिस और एसटीएफ पर सवाल उठे थे. अब एसटीएफ का कहना है कि विकास दुबे को 3 सरकारी गाड़ियों में अदलते बदलते ला रहे थे.
हालांकि, उज्जैन से एनकाउंटर के ठीक पहले तक विकास दुबे एक ही गाड़ी यानी सफारी में बैठा दिखाई दिया था. केवल एनकाउंटर के बाद ही पता चला था कि वो दूसरी गाड़ी यानी जो गाड़ी पलटी उसमें बैठा था. जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे. इस मामले की न्यायिक जांच भी कराई जा रही है.
विकास दुबे के एनकाउंटर पर कई सवालों में से एक है कि आखिर कैसे महज 15 मिनट में एनकाउंटर हो गया. पुलिस ने मीडिया की गाड़ियों को 15 मिनट के लिए रोक लिया था. इसके बाद जब मीडिया की गाड़ी आगे बढ़ी तो देखा गया कि एसटीएफ की एक गाड़ी पलटी पड़ी है. दावा किया गया कि इसी गाड़ी में विकास दुबे था.
एसटीएफ के मुताबिक, गाय-भैंस के झुंड के कारण गाड़ी पलट गई. इस दौरान विकास दुबे पुलिसवाले की पिस्टल छीनकर भागने लगा. पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन विकास दुबे ने फायरिंग कर दी. आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें विकास दुबे मारा गया है.
पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल उठ रहे हैं. पहला आखिर गाड़ी कब बदली गई, जिसका जवाब एसटीएफ ने अपनी एफआईआर में देने की कोशिश की है.
इसके अलावा विकास दुबे कैसे भागा. उसके पैर में रॉड पड़ी है, फिर भी वह कैसे भाग गया. गाड़ी का एक भी शीशा नहीं खुला तो विकास बाहर कैसे निकला. इसके अलावा भी कई सवाल उठ रहे हैं.