कभी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कपिल मिश्रा अब दूसरी राह पकड़ चुके हैं. भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने के लिए केजरीवाल से जुड़े इन दिनों केजरीवाल के ही भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं. शुक्रवार को कपिल शर्मा ने केजरीवाल पर एक और हमला बोला. कपिल मिश्रा ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मैंने एक हफ्ते पहले आम आदमी पार्टी से सवाल पूछे थे और अभी तक किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. अरविंद केजरीवाल इस सवालों पर इस तरह चुप हैं जैसे कि उनके मुंह में दही जमी हुई हो. इसके अलावा कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर सोशल मीडिया पर गलत वीडियो चलाने का आरोप भी लगाया.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कपिल ने केजरीवाल के खिलाफ हमला बोला हो. पिछले कई हफ्तों से कपिल मिश्रा लगातार AAP के खिलाफ बयान दे रहे हैं. लेकिन, गौर करें तो ऐसा लग रहा है कि कपिल का अभियान और अनशन केजरीवाल के खिलाफ नहीं उनके पक्ष में ही काम कर रहा है. हो सकता है कि आप फिलहाल इस बात पर यकीन न करें लेकिन नीचे दि गए पांच तर्क पढ़ने के बाद जरूर आपकी राय बदल जाएगी.
पंजाब-एमसीडी में हार की बदनामी से पीछा छूटा
अभी कुछ ही दिन हुए आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा विधानसभा के साथ-साथ एमसीडी चुनावों में बुरी तरह हारी है. आप अपनी हार पर गंभीरता से मंथन करने की शुरुआत कर ही रही थी कि कपिल मिश्रा के बागी तेवरों ने मीडिया की सुर्खियों में जगह बना ली और हार की बदनामी पीछे और पीछे छूटती चली गई. अब चर्चा हो रही है तो केवल केजरीवाल पर लगे आरोपों की और कपिल मिश्रा की ‘मौकापरस्ती’ की. मौकापरस्ती इसलिए क्योंकि लोगों का कहना है कि कपिल मिश्रा को ये सब तभी क्यों याद आया जब उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया.
पार्टी में टूट टली
काफी लंबे समय से ऐसा लग रहा था कि भारतीय राजनीति की तस्वीर बदलने के लिए अवतरित हुई आम आदमी पार्टी बहुत ही कम समय में टूटने वाली पार्टी बन जाएगी लेकिन ‘कपिल बवंडर’ ने इसके बिखर रहे तिनकों को एक साथ ला दिया. पार्टी में कई नेता केजरीवाल की तानाशाही के आरोप लगा चुके हैं. देशभक्त कवि के रूप में अपनी पहचान बना चुके कुमार विश्वास भी अलग-अलग होते-होते रुके तो कहीं न कहीं उसमें कपिल फैक्टर भी काम कर रहा था. दरअसल, ये समाज की परिपाटी है कि विपत्ति काल में घर नहीं छोड़ा जाता. क्या पता ‘कपिल बवंडर’ के थमने के बाद AAP में कौन सा तूफान खड़ा हो.
जल संकट का मुद्दा सुर्खियों में नहीं आ सका
दिल्ली इन दिनों सूरज की भीषण तपिश झेल कर निकली है. पिछले दो दिनों से बदली ने थोड़ी राहत दी है लेकिन ऐसा नहीं है कि अब ऐसा ही रहने वाला है. ये राहत फौरी है क्योंकि सूरज फिर वही प्रचंड गर्मी लेकर आएगा. गर्मी के मौसम में दिल्ली में जल संकट की बात न हो ऐसा शायद ही किसी साल हुआ हो. इस साल भी पानी की समस्या है. पानी पर राजनीति भी है. लेकिन, इसके चर्चे अखबारों में अंदर के पन्ने पर हैं तो टीवी पर बमुश्किल जगह बना पा रहे हैं. वजह फिर वही कपिल मिश्रा. रोजाना कपिल कुछ नया ले आते हैं और मीडिया कवरेज उन तक सीमित हो कर रह जाता है. हालांकि केजरीवाल ने इस मुद्दे पर बचने के लिए अपने सहयोगी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लगा रखा है. सिसोदिया इस मुद्दे पर मोदी सरकार से लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार और एलजी तक को घसीट चुके हैं. वहीं दूसरी ओर दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज वाजपेयी ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर केजरीवाल से नहीं हो पा रहा है तो जल बोर्ड हमें दे दें. लेकिन, कपिल मिश्रा के तमाशे के आगे पानी को तरशती दिल्ली भी मुद्दा न बन पाई.
मेट्रो किराया बढ़ा लेकिन चर्चा नहीं
कहा जाता है कि दिल्ली मेट्रो देश की राजधानी की लाइफलाइन है. पिछले हफ्ते बुधवार (10 मई) से मेट्रो का किराया बढ़ गया कहीं कोई आपत्ति नहीं हुई. मेट्रो सवारियों के मुताबिक उनका किराया लगभग 60 से 70 प्रतिशत तक बढ़ चुका है. जरा उम्मीद कीजिए कि अगर दिल्ली में कपिल मिश्रा का एपिसोड न चल रहा होता तो क्या मेट्रो किराए पर इस बेतहाशा वृद्धि पर ऐसी शांति होती.
विरोधी भी आए साथ
सबसे खास बात जो कपिल मिश्रा के आरोपों के बाद केजरीवाल के पक्ष में हुई कि उनके विरोधी भी उन्हें डिफेंड करते नजर आए. कभी केजरीवाल के साथ काम करने वाले और अब अलग हो अपनी पार्टी (स्वराज इंडिया) बना चुके योगेंद्र यादव ने कहा कि केजरीवाल करप्शन नहीं कर सकते. वहीं दूसरी ओर काफी समय से अरविंद से नाराज कुमार विश्वास ने भी पब्लिक डोमेन में और सोशल मीडिया पर कहा कि अरविंद भ्रष्टाचार करेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता. ऊपर कही गई पांचों बातें ये साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि कपिल मिश्रा भविष्य में भले ही केजरीवाल के लिए खतरा खड़े कर रहे हों लेकिन फिलहाल उनके लिए शील्ड ही बने नजर आ रहे हैं.