अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरो सर्जरी विभाग में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ने पर चिकित्सकों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि समय रहते ब्रेन ट्यूमर की पहचान कर ली जाए तो रोगियों को त्वरित इलाज प्रदान कर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। एम्स में इसके लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। एम्स में प्रतिमाह लगभग तीन दर्जन ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की जा रही हैं।ब्रेन ट्यूमर पर आयोजित दूसरी सिम्पोजियम का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के लिए कई विभागों को साथ मिलकर कार्य करना होता है। यह एक कठिन प्रक्रिया है परंतु एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग प्रतिमाह तीन दर्जन से अधिक सर्जरी कर रोगियों को राहत प्रदान कर रहा है। पिछले कई वर्षों से इस प्रकार के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। अब इसके कारण और निवारण पर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है।

उन्होंने रोगियों को ब्रेन ट्यूमर की अत्याधुनिक चिकित्सा भविष्य में भी उपलब्ध कराने का संकल्प व्यक्त किया। सिम्पोजियम में देशभर के 100 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम में एम्स के प्रो. नरेंद्र कुबेर बोधे, डॉ. सिद्धार्थ नंदा, डॉ. मुदालशा रविना, डॉ. यशवंत कश्यप, डॉ. रश्मि दुबे और डॉ. चरणदीप सिंह गंढोक ने अपनी विशेषज्ञ प्रस्तुतियां दी।
अलग-अलग हो सकते हैं लक्षणन्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि यदि ब्रेन ट्यूमर के प्रारंभिक लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इसका जल्द इलाज और निवारण संभव है। शुरूआत में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों को सिरदर्द, सिजर, उल्टी, देखने में समस्या, हाथ या पैर का धीरे-धीरे सुन्न् पड़ना या गतिविधि में दिक्कत, संतुलन बनाए रखने में दिक्कत, सुनने और बोलने में कठिनाई जैसी चुनौतियां आती हैं। ऐसे में समय पर उपचार प्रारंभ कर ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी करवाई जा सकती है।
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