एथनाल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के बाद अब सरकार हर साल कम से कम एक लाख टन मक्के की खरीदारी करेगी ताकि डिस्टलरी एथनाल का उत्पादन जारी रख सकें। सरकार एथनाल उत्पादन के लिए मक्के को प्रमुख माध्यम बनाना चाहती है। पिछले सप्ताह खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग से जुड़ी मंत्रियों की समिति की बैठक में यह फैसला किया गया।
नेशनल कोपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) और नेशनल एग्रीकल्चर कोपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) सरकारी सहायता वाली स्कीम के तहत से कम से कम अगले तीन साल तक मक्के की खरीदारी करेंगी। खरीदारी इस साल से ही शुरू हो जाएगी। नेफेड व एनसीसीएफ खुले बाजार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्के की खरीदारी करेंगी ताकि एथनाल के उत्पादन में कोई दिक्कत नहीं हो।
शीरे से एथनाल का उत्पादन रहेगा जारी
उपभोक्ता मामले विभाग के मुताबिक, गन्ने के रस से एथनाल बनाने पर लगाई गई रोक स्थायी नहीं है और इसकी लगातार समीक्षा की जाएगी। मंत्रालय चीनी के उत्पादन पर भी नजर रख रहा है। बी और सी-मोलासेज यानी शीरे से एथनाल का उत्पादन जारी रहेगा।
चालू चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी के उत्पादन में गत चालू सीजन के मुकाबले 40 लाख टन कम चीनी के उत्पादन की आशंका है जिसे देखते हुए एथनाल के उत्पादन में गन्ने के रस के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है ताकि घरेलू स्तर पर चीनी के दाम में बढ़ोतरी नहीं हो। चुनाव सीजन होने की वजह से सरकार महंगाई को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
फेडरेशन ने PM मोदी को लिखा पत्र
सरकार के इस फैसले पर नेशनल फेडरेशन ऑफ कोपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने चीनी मिलों के करोड़ों के निवेश प्रभावित होने की आशंका जाहिर की है। फेडरेशन ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा है। दूसरी तरफ इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार से बी और सी-मोलासेज से बने एथनाल की कीमत बढ़ाने की मांग की है ताकि चीनी मिलों को होने वाले घाटे की पूर्ति हो सके। सरकार बी-मोलासेज से बने एथनाल के लिए 60.73 रुपए प्रति लीटर तो सी-मोलासेज से बने एथनाल के लिए 49.41 रुपए प्रति लीटर की दर से कीमत देती है।
सरकार का कहना है कि गन्ने के रस के इस्तेमाल पर रोक के फैसले से वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनाल मिश्रण के लक्ष्य पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस साल इस मिश्रण को 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेल कंपनियों को 700 करोड़ लीटर एथनाल की आवश्यकता होगी। देश में होने वाले एथनाल के कुल उत्पादन में गन्ने के रस व गन्ने के सिरप की हिस्सेदारी 25-30 प्रतिशत है।