पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित एक ब्रांच में 11 हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद शेयर बाजार से लेकर बैंकिंग सेक्टर में हड़कंप मचा हुआ है. इस मामले में पीएनबी ने सीबीआई से अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उनकी पत्नी, भाई और उनके एक बिजनेस पार्टनर के खिलाफ शिकायत की है.
इसके अलावा बैंक को 11 हजार करोड़ की चपत लगाने में पीएनबी के दो कर्मचारियों का हाथ बताया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रकम की लेन-देन के लिए इन कर्मचारियों ने ‘स्विफ्ट’ का इस्तेमाल किया. इसके जरिये वे रोजाना की बैंकिंग ट्रांजैक्शंस को प्रॉसेस करने वाले कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) को चकमा दे गए.
दरअसल, ‘स्विफ्ट’ से जुड़े मैसेज पीएनबी के पिनैकल सॉफ्टवेयर सिस्टम में तत्काल ट्रैक नहीं होते हैं क्योंकि ये बैंक के CBS में एंट्री किए बिना जारी किए जाते हैं. इसी का फायदा पीएनबी के दो कर्मचारियों ने उठाया और करोड़ों का लेन-देन किया. मालूम हो कि ‘स्विफ्ट’ ग्लोबल फाइनेंशियल मैसेजिंग सर्विस है, इसका इस्तेमाल प्रत्येक घंटे लाखों डॉलर को भेजने के लिए किया जाता है.
बताया जाता है कि इस घोटाले की शुरुआत तब हुई जब डायमंड का कारोबार करने वाली तीन कंपनियों ने रॉ डायमंड के इम्पोर्ट के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (L/C) इश्यू करने की खातिर पीएनबी से संपर्क किया.
ये कंपनियां विदेशी सप्लायरों को भुगतान के लिए शॉर्ट टर्म क्रेडिट (कर्ज) चाहती थीं. बैंक अफसरों ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) देने से पहले 100% कैश मार्जिन मांगा. तीनों फर्मों ने कहा कि वे पहले भी यह सुविधा लेती रही हैं.
जांच हुई तो पता चला कि मार्च 2010 से बैंक के फॉरेक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने मनोज खरात नाम के एक अन्य बैंक अधिकारी के साथ मिलकर इन कंपनियों को फर्जी तरीके से एलओयू दिया. पकड़ में आने से बचने के लिए इसकी एंट्री भी नहीं की.
फिर इन्हीं जाली LoU के आधार पर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों की विदेशी शाखाओं ने बैंक को डॉलर में लोन दिए थे.
इन डॉलर लोन का इस्तेमाल बैंक के नोस्ट्रो अकाउंट्स की फंडिंग के लिए किया गया. इन एकाउंट्स से फंड को विदेश में कुछ फर्मों के पास भेजा गया, जो नीरव मोदी की कंपनी से संबंध रखती थी.