एकपक्षीयता और आतंकवाद से निपटने के लिए बताए 5 सूत्र PM मोदी ने

प्रधानमंत्री मोदी ने आज शुक्रवार को जापान के ओसाका में BRICS लीडर्स की अनौपचारिक बैठक को संबोधित करते हुए दुनियाभर के देशों की कॉमन चुनौतियों के समाधान के लिए पांच सूत्री दृष्टिकोण रखा। पीएम मोदी ने विश्व व्यापार संगठन जैसे वैश्विक वित्तीय संगठनों के संरक्षणवाद और एकपक्षीयता के साथ ही आतंकवाद जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए यह दृष्टिकोण रखा है। अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को मजबूत बनाने, संरक्षणवाद से लड़ने, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने की जरूरत पर बल दिया।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज मैं तीन प्रमुख चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करूंगा। पहला, विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी और अनिश्चितता। नियम आधारित बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणालियों में एकतरफा फैसले और प्रतिद्वंदिता रही है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘दूसरी ओर, संसाधनों की कमी इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए निवेश में लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर की कमी है।’ पीएम मोदी ने कहा कि विकास और प्रगति को समावेशी और टिकाऊ बनाना दूसरी बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “डिजिटलीकरण जैसी तेजी से बदलती प्रौद्योगिकियां और जलवायु परिवर्तन न केवल हमारे लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी चिंता का विषय है। विकास तब सही दिशा में होता है, जब यह असमानता को कम करता है और सशक्तिकरण में भागीदार बनता है।”

पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा, “यह न केवल निर्दोष लोगों की जान लेता है, बल्कि आर्थिक प्रगति और सामाजिक स्थिरता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आतंकवाद और नस्लवाद को समर्थन देने वाले सभी माध्यमों को रोकने की आवश्यकता है।”

पीएम मोदी ने कहा “हमें बहुपक्षीयता में सुधार के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और व्यापारिक संस्थानों व संगठनों में आवश्यक सुधारों पर जोर देने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि तेल और गैस जैसे ऊर्जा संसाधन निरंतर आर्थिक विकास के लिए नियमित रूप से कम कीमतों पर उपलब्ध होने चाहिए।
 

पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच तालमेल से एकतरफा फैसलों के दुष्परिणामों का समाधान कुछ हद तक हो सकता है। उन्होंने कहा, ”हमें बहुपक्षवाद को बेहतर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापारिक संस्थाओं तथा संगठनों में आवश्यक सुधार पर जोर देते रहना होगा।”

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