यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करते हुए शनिवार को उनसे कई घंटों तक पूछताछ की।
बालार्ड एस्टेट स्थित ईडी के कार्यालय में अधिकारी जानना चाह रहे हैं कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि ज्यादातर कॉरपोरेट को मिला लोन डूबा हुआ कर्ज यानी एनपीए हो गया।
ईडी अधिकारियों को शक है कि राणा कपूर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने यस बैंक के हितों के साथ समझौता किया। यहां तक कि उत्तर प्रदेश बिजली निगम में कथित पीएफ धोखाधड़ी मामले के तार भी राणा कपूर से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
सीबीआई ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में 2,267 करोड़ रुपये के कर्मचारी भविष्य निधि घोटाले की जांच शुरू की है, जहां बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों की मेहनत की कमाई को डीएचएफएल में निवेश किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय कुछ ऐसी कंपनियों के बीच हुए करीब पांच हजार करोड़ रुपयों के लेनदेन की भी जांच कर रहा है, जो या तो राणा कपूर के परिवार की थीं, या डीएचएफएल से जुड़े लोगों की रही हैं।
5 हजार करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा ईडी की पूछताछ में यह भी पता लगाया जा रहा है कि 2018 में अप्रैल से जुलाई के बीच डीएचएफएल ने 600 करोड़ रुपये का कर्ज ड्वॉयट अर्बन वेंचर्स को दिया था। बताया जा रहा है कि राणा कपूर का परिवार इस कंपनी का चलाता है।
दरअसल, यस बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) को जो कर्ज दिया था वह बाद में एनपीए घोषित हो गया। राणा कपूर पर आरोप है कि उन्होंने कुछ कॉरपोरेट नियमों को ताक पर रखकर कमजोर आधार पर भी लोन दिया, जिसके बदले उनकी पत्नी के खाते में घूस की रकम ट्रांसफर की गई। जांच एजेंसी इस एंगल से भी जांच कर रही है।