हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई है। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल पूर्व सीएम हरीश रावत की ओर से जबकि सरकार व सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल बहस कर रहे हैं।
एक बजे तक चली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई की प्रारंभिक सीलबंद जांच रिपोर्ट देखी और सीबीआई के अधिवक्ता की दलील स्वीकार स्वीकार कर लिया है।
अब सुनवाई दो बजे से होगी। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में बहस करते हुए वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसआर मुम्बई केस में साफ कहा है राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा लिए गए निर्णय असंवैधानिक हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य की सरकार फिर बहाल हुई तो कैबिनेट द्वारा स्टिंग मामले की एसआइटी से जांच का निर्णय लिया।
इस पर थपलियाल ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि जिस पर आरोप हैं, उसे जांच एजेंसी तय करने का अधिकार नहीं है। सिब्बल ने इस पूरे प्रकरण को साजिश करार देते हुए कहा कि रविवार होने के बाद भी सीडी की प्रमाणिकता को लेकर चंडीगढ़ लैब से रिपोर्ट आ गई। सिब्बल ने हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा के बीच बातचीत का ब्यौरा भी कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया।
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोर्ट को अवगत कराया कि वह स्टिंग मामले की प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना चाहती है ताकि इस मामले में अग्रिम क़ानूनी कार्यवाही कर हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सके।
जबकि हरीश रावत की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सीबीआई को इस मामले में जांच करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि जब राज्य की चुनी हुई सरकार ने राष्ट्रपति साशन के दौरान सीबीआई जांच की अधिकारिता सम्बन्धी नोटिफिकेशन को वापस ले लिया था तब मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर लिया था।
हरीश रावत के अधिवक्ता ने सीबीआई की प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट को अवैध बताते हुए उसे कोर्ट में पेश किए जाने पर आपत्ति जाहिर की और कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर हरीश रावत के खिलाफ कोई कार्यवाही की जाती है तो वह अवैधानिक होगी। मामले में बहस जारी है।