कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिवजी वास करते हैं. इसलिए इस दिन आंवले की पूजा करने से आरोग्यता और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. इस बार आंवला नवमी सोमवार, 23 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है.
आंवले का फल पौराणिक दृष्टिकोण से रत्नों के समान मूल्यवान माना जाता है. कहते है कि शंकराचार्य ने इसी फल को स्वर्ण में परिवर्तित कर दिया था. इस फल का प्रयोग कार्तिक मास से आरम्भ करना अनुकूल माना जाता है. इस फल के सटीक प्रयोग से आयु, सौन्दर्य और अच्छे स्वस्थ्य की प्राप्ति होती है. मात्र यही ऐसा फल है जो सामान्यतः नुकसान नहीं करता है.
अगर धन का अभाव हो तो हर बुधवार को भगवान को आंवला अर्पित करें. अगर उत्तम स्वास्थ्य चाहिए तो कार्तिक माह में आंवले के रस का नियमित प्रयोग करें. आंवले के वृक्ष के नीचे शयन, विश्राम और भोजन करने गोपनीय से गोपनीय बीमारियां और चिंताएं दूर होजाती हैं. आंवले के फल को दान देने से मानसिक चिंताएं दूर होती हैं. आंवले का चूर्ण खाने से वृद्धावास्था का प्रकोप नहीं होता है.
कार्तिक मास में आंवले को भोजन में शामिल करें अथवा आंवले के रस में तुलसी मिलाकर सेवन करें. कार्तिक में आंवले का पौधा लगाने से संतान और धन की कामनाएं पूर्ण होती हैं. आंवले के फल को सामने रखकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है. अगर कर्ज से परेशान हों तो घर में आंवले का पौधा लगाएं. इसमें रोज सुबह जल डालें.