घर में कई ऐसी चीजें होती है जिनका ताल्लुक वस्तु से होता है, वही बात यदि झाड़ू की करें तो झाड़ू एक ऐसी घरेलू वस्तु है जिससे घर की साफ-सफाई की जाती है। यह घास, फाइबर, प्लास्टिक अथवा सींख की होती है तथा इसका उपयोग प्रत्येक घर में ही किया जाता है। उपयोग करते-करते झाड़ा खराब भी होती है तथा इसे बदलकर बाजार से नई झाड़ू भी लाई जाती है। पर क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक, झाड़ू क्रय करने के भी कई नियम होते हैं। यूं ही किसी भी झाड़ू को खरीद लाना आपके जीवन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

हिंदू धर्म में झाड़ू मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है। इसलिए पुरानी अथवा खराब झाड़ू को बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार के दिन तो घर से बिल्कुल भी न निकालें। बृहस्पतिवार श्री नारायण का और शुक्रवार मां लक्ष्मी का वार होता है। इस दिन घर से झाड़ू निकालने से ईश्वर रुष्ठ हो जाते हैं तथा उस घर से चले जाते हैं। इस पर पैर पड़ जाना अथवा इसे लांघना भी अशुभ माना जाता है।
मंगलवार तथा शनिवार का दिन झाड़ू क्रय करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसा करने से घर की आर्थिक हालात में सुधार आता है। घर में संपन्नता आती है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वार के साथ-साथ पक्ष का ध्यान रखना भी आवश्यक है। झाड़ू कृष्ण पक्ष में खरीदी जाए तो अच्छा रहता है। प्रथा है कि इसे घर की ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां किसी की भी दृष्टि न जाए तथा इसे बिस्तर के नीचे तो बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए। झाड़ू लगाने के वक़्त की बात करें तो सूर्यास्त के पश्चात् इसके इस्तेमाल की मनाही होती है।
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