इन चार आईएएस अफसरों को मिली बड़ी राहत, हरियाणा सरकार ने लिया ये फैसला

हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद नगर निगम से संबंधित विभिन्न निर्माण कार्यों के घोटालों में फंसे चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक को अनुमति देने से इन्कार कर दिया है।

इस मामले में फरीदाबाद स्थित एसीबी थाने में पांच एफआईआर दर्ज की गई थीं जिनमें से आईएएस अनीता यादव, मोहम्मद शाइन, यश गर्ग और सोनल गोयल की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी। चारों अधिकारी फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त रह चुके हैं। इससे पहले राज्य सरकार ने रिश्वत के आरोप में फंसे आईएएस जयवीर सिंह के खिलाफ भी जांच की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।

पांचों एफआईआर साल 2022 व 2023 के दौरान दर्ज की गईं। पहली एफआईआर 24 मार्च 2022 को दर्ज की गई थी। एफआईआर के मुताबिक वार्ड 14 में पेवर ब्लॉक के काम की लागत 53.82 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.97 करोड़ कर दी गई थी। इस मामले में आईएएस यश गर्ग के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई थी। दूसरी एफआईआर अप्रैल महीने में दर्ज की गई। एफआईआर के मुताबिक ठेकेदार को तय राशि से ज्यादा रुपये का भुगतान किया गया जबकि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ था। इस मामले में भी राज्य सरकार ने यश गर्ग के खिलाफ जांच की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।

तीसरी एफआईआर 16 जून 2022 में दर्ज हुई। इसमें एसीबी ने आईएएस अधिकारी सोनल गोयल और मोहम्मद शाइन की भूमिका जांचने के लिए अनुमति मांगी थी। आरोप था कि ठेकेदार सतबीर सिंह और उनकी फर्मों को विभिन्न कार्यों के लिए 1.76 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि कोई निविदा आमंत्रित नहीं की गई। इस मामले में भी सरकार ने दोनों अधिकारियों की भूमिका जांचने के लिए एसीबी को मंजूरी नहीं दी है।

चौथी एफआईआर 15 जुलाई, 2022 को दर्ज की गई जिसमें एसीबी ने मोहम्मद शाइन, सोनल गोयल, अनीता यादव और यश गर्ग की भूमिका जांचने के लिए एसीबी ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। इसके मुताबिक वार्ड नंबर 14 में इंटरलॉकिंग टाइल्स के काम के लिए 5.51 लाख रुपये की अनुमानित लागत को 98.69 लाख रुपये कर दिया गया। इसमें राज्य सरकार ने मोहम्मद शाइन, सोनल गोयल, अनीता यादव और यश गर्ग की भूमिका की जांच के लिए अनुमति देने से इन्कार कर दिया।

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