पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) का नियम है कि इसमें ब्याज की गणना महीने की पांच तारीख से महीने के आखिर तक पीपीएफ अकाउंट में जमा न्यूनतम बैलेंस पर होती है। ऐसे में अगर पांच तारीख से पहले ही पैसे डाल दिये जाएं, तो ब्याज की गणना की अवधि के दौरान न्यूनतम बैलेंस अधिक रहता है। यहां बता दें कि पीपीएफ में ब्याज की गणना हर महीने होती है, लेकिन वित्त वर्ष के आखिर में ही इसे क्रेडिट किया जाता है।
उदाहरण के लिए अगर किसी पीपीएफ अकाउंट में महीने की पांच तारीख को एक लाख रुपये हैं और निवेशक ने छह तारीख को 1.5 लाख रुपये अतिरिक्त जमा कराए हैं, तो ब्याज की गणना पांच तारीख से महीने के अंत तक की अवधि के न्यूननतम बैलेंस अर्थात एक लाख रुपये पर ही होगी। इसका मतलब है कि उस महीने निवेशक को 1.5 लाख रुपये पर मिलने वाले ब्याज का नुकसान हो जाएगा।
पीपीएफ सरकार द्वारा समर्थित सेविंग स्कीम है। पीपीएफ की सबसे खास बात यह है कि यह EEE स्टेटस के साथ आती है। अर्थात इस निवेश योजना में तीन स्तर पर ब्याज में छूट मिलती है। इस योजना में मैच्योरिटी राशि और ब्याज आय भी करमुक्त होती है। इस योजना में निवेश करके निवेशक हर साल 1.5 लाख रुपये का आयकर बचा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत आयकर में यह छूट निवेशक पुराने टैक्स स्लैब का चयन कर प्राप्त कर सकते हैं।
पीपीएफ में पिछले पांच वर्षों में औसतन 8 फीसद ब्याज मिला है। अप्रैल से जून महीने की तिमाही के लिए इस योजना में ब्याज दर 7.1 फीसद तय की हुई है। इस योजना में एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश किये जा सकते हैं।