नई दिल्ली : अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने मामले में लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाए या नहीं, इस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है.अगर फैसला अडवाणी के विपरीत जाता है तो हो सकता है कि वे राष्ट्रपति बनने की दौड़ से बाहर हो जाये.
उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के दो मामलों पर ट्रायल चल रहा है. ढांचा गिराए जाने के समय मौजूद अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ केस लखनऊ कोर्ट में और भाजपा नेताओं से जुड़ा एक मामला रायबरेली कोर्ट में है.6 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दो एफआईआर से जुड़े मामलों की एक साथ सुनवाई करने के विकल्प पर भी विचार करने को कहा था.इस पर भी बुधवार को फैसला आ सकता है.
बता दें कि पीठ ने कहा था कि इस मामले में 25 साल गुजर चुके हैं, न्याय को ध्यान में रखते हुए दैनिक आधार पर इन मामले की सुनवाई के आदेश दे सकते हैं, जो कि दो साल के भीतर पूरी हो सकती है. हालाँकि दोनों मामलों के संयुक्त ट्रायल और रायबरेली का केस स्थानांतरित किए जाने का आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के वकील केके वेणुगोपाल ने विरोध किया था.
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पिछली सुनवाई में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला चलना चाहिए. सूत्रों के अनुसार सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि रायबरेली में 57 लोगों की गवाही ली जा चुकी है. वहीं, 100 से ज्यादा लोगों की गवाही ली जानी है.जबकि रायबरेली की कोर्ट ने आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 13 भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप हटा दिए थे. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था.
सुप्रीम कोर्ट में हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने यह आरोप हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करने की अपील भी की थी. 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने साजिश के आरोपों को रद्द करने की अपील का परिक्षण करने का फैसला किया था.
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