फांसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. तीन बार मौत की तारीख पहले ही खिसक चुकी थी. इस बार उम्मीद बेहद कम है कि बीस मार्च की तारीख टल जाए.
लिहाज़ा आखिरी के इन आठ-नौ दिनों में मौत से बचने के लिए निर्भया के चारों गुनहगारों ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया है. और इसी ज़ोर-आज़माइश के तहत चुन-चुन कर क़ानून की कमजोर कड़ियों को इकट्ठा करने की कोशिश की जा रही है. और इसी कोशिश में फांसी से बचने के लिए इनका वो आखिरी प्लान भी शामिल है.
20 मार्च के लिए चौथा डेथ वारंट जारी होने के बाद से घड़ी की बढ़ती टिक टिक चारों दोषियों के कान में किसी टाइम बम की घड़ी की तरह गूंज रही है. उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है और इनकी ज़िंदगी के दिन अब उंगलियों पर गिने जा सकते हैं.
मगर मरने ये पहले ये शम्मा जी भर कर फड़फड़ा लेना चाहती है. और इसीलिए मौत के अंधेरों के बीच ज़िंदगी की रौशनी की तमाश में ये साम दाम दंड भेद सारे तरीके आज़मा रहे हैं. पटियाला हाऊस कोर्ट की तरफ से जारी चौथे डेथ वारंट के बाद निर्भया के इन दोषियों को आने वाली 20 मार्च को फांसी पर चढ़ाने का आदेश जारी हुआ है. अब जानिए इन दोषियों के वो हथकंडे जो इन्होंने फांसी से बचने के लिए अपनाए हैं.
निर्भया के गुनहगार मुकेश की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर क्यूरेटिव पिटिशन दोबारा दाखिल करने की इजाजत मांगी गई है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट 16 मार्च को सुनवाई करने वाली है. वहीं बाकी मुजरिमों के वकील एपी सिंह के मुताबिक आने वाले हफ्ते में उनकी ओर से भी अर्जी दाखिल की जाएगी और फांसी पर रोक की गुहार लगाई जाएगी.
ज़ाहिर है मुजरिम कोई भी कानूनी दांव आज़माने से नहीं चूक रहे हैं लेकिन कानूनी जानकार बताते हैं कि अब फांसी की तारीख नहीं बदलनी चाहिए.
मुकेश के नए वकील एमएल शर्मा की तरफ से अर्जी दाखिल कर भारत सरकार, दिल्ली सरकार और एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट सलाहकार को पार्टी बनाया गया है. और अर्जी में कहा गया है कि उसे साजिश का शिकार बनाया गया. उसे नहीं बताया गया कि लिमिटेशन एक्ट के तहत क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है.
इस तरह देखा जाए तो उसे उसके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है, इसी वजह से ये रिट दाखिल की गई. इस मामले में फौरन सुनवाई की फरियाद करते हुए मामले की सुनवाई 9 मार्च को ही की करने की बात कही गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय कर दी है.
इसी बीच विनय के वकील एपी सिंह ने एक और याचिका दायर करने की बात कही है. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार की तरफ से दया याचिका खारिज करने की सिफारिश उस वक्त की गई.जब दिल्ली में चुनाव था और आचार संहिता लागू थी. लिहाज़ा खारिज हो चुकी याचिका को चुनौती दी जाएगी.
साथ ही एपी सिंह का ये भी कहना है कि इस दौरान कैसे दिल्ली के मंत्री ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की ये सवाल अदालत के सामने उठाया जाएगा.
अक्षय की तरफ से भी एक और अर्जी दाखिल की जाएगी. क्योंकि बकौल उसके वकील अक्षय की पहली मर्सी पिटिशन अधूरी थी और दूसरी बार जो मर्सी पिटिशन दाखिल की गई थी. जो पेंडिंग थी.
अदालत में ये सवाल भी उठाया गया था. मर्सी पिटिशन दाखिल किए जाने की बात सामने आई थी लेकिन इस मर्सी पिटिशन के पेंडिंग रहने के दौरान ही 5 मार्च को डेथ वॉरंट जारी कर दिया गया.
इस मामले को भी अदालत में अर्जी दाखिल की जानी है. साथ वकील एपी सिंह का कहना कि पवन की दया याचिका खारिज होने के 24 घंटे के अंदर ही फांसी की तारीख तय कर दी गई और उसे अपील का मौका तक नहीं दिया गया. लिहाज़ा इन तमाम सवालों को ऊपरी अदालत के सामने उठाया जाएगा और फांसी की तारीख टालने की गुहार लगाई जाएगी.
आपको बता दें कि निर्भया के चारों गुनहगारों की रिव्यू, क्यूरेटिव और मर्सी पिटिशन खारिज हो चुकी हैं. आखिरी मर्सी पिटिशन खारिज होने के 14 दिन बाद की फांसी की तारीख तय की गई है.
जजमेंट के तहत जो ज़रूरी चीज़ें थीं उन्हें पूरा कर लिया गया है. ऐसे में अब फांसी की तय तारीख 20 मार्च को ही फांसी होनी चाहिए. हालांकि पहले भी मर्सी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल होती रही हैं. और इसीलिए आरोप है कि दोषियों के वकील ने कानून के इन्हें दायरों का फायदा उठाते हुए उन्हें फांसी से बचाने का अंतहीन सिलसिला शुरु कर रखा है.
मर्सी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिट और रिट खारिज होने के बाद दोबारा मर्सी पिटिशन दाखिल होता रहा तो ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा. दोषी की मर्जी है कि वो अर्जी दाखिल करे और वो आखिरी दम तक कोशिश कर सकता है लेकिन अब शायद ही फांसी की तारीख टल पाए.
अगर सुप्रीम कोर्ट को लगेगा कि सुनवाई के लिए फांसी पर रोक जरूरी है, तभी फांसी की तारीख टल सकती है वरना नहीं. वैसे मौजूदा केस में अब फांसी की तारीख बदलने की उम्मीद कम ही है.