गणतंत्र दिवस के मौके पर शामिल हुए आसियान देशों के दस राष्ट्राध्यक्ष भारत के लिहाजा से काफी मायने रखते हैं। यह गठजोड़ पुराना तो है लेकिन समय बीतने और इस पूरे क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए सहायक भी है। आपको बता दें कि आसियान में दस देश शामिल हैं। 1996 से भारत भी इसका सदस्य है। ऐसा पहली बार हुआ है जब गणतंत्र दिवस के मौके पर आसियान के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथी के तौर पर इसमें शामिल हुए। आपको बता दें कि आसियान में शामिल देश महज कूटनीतिक लिहाज से ही अहम नहीं है बल्कि रणनीतिक तौर पर भी काफी खास हैं। आसियान में शामिल देश जीडीपी और विकास के लिहाज से कई मायनों में खास है। इसके अलावा चीन के बढ़ते कदमों को रोकने में भी आसियान देश भारत के साथ आ सकते हैं।
चीन की प्रतिक्रिया
हालांकि चीन ने गणतंत्र दिवस पर भारत द्वारा आसियान नेताओं की मेजबानी को लेकर नपी-तुली प्रतिक्रिया दी है। चीन की तरफ से कहा गया है कि इससे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास कायम करने में मदद मिलेगी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिइंग ने कहा, हमें उम्मीद है सभी देश क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए मिलकर काम कर करेंगे। हम सभी इस संबंध में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। आसियान देशों के साथ भारत का दोस्ताना और सहयोग संबंध बनाना सही है। हुआ ने आसियान नेताओं की भारत की मेजबानी के संबंध में मीडिया में आई रिपोर्ट की निंदा की। रिपोर्ट में कहा गया था कि क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम करने के मकसद से भारत ने यह कदम उठाया है।
चीन की बौखलाहट
इसके बाद भी चीन के अखबार कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। चीन के सरकारी अखबारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि भारत के भौगोलिक-राजनीतिक झूठ चीन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि भारत को आसियान देशों का सम्मेलन नई दिल्ली में करने का पूरा हक है, लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव चीन पर पड़ रहा है। कुछ हालांकि आसियान नेताओं की भारत यात्रा चीन को प्रभावित नहीं कर पाएगी। चीन के साथ आसियान देशों का कुल व्यापार भारत की तुलना में 6 गुना अधिक है। इन देशों में चीन का निवेश भी भारत की तुलना में 10 गुना अधिक है।
आसियान की सफलता से प्रभावित
पीएम मोदी साउथ एशियाई की सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों के अलावा इन देशों की आर्थिक सफलता से बहुत प्रभावित हैं। मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब बिन तुन अब्दुल रजाक के साथ पीएम मोदी के संबंध काफी अच्छे हैं। वहां की एजेंसी परमांदू ने इंडिया में गवर्नमेंट प्रोग्राम और डिलीवरी से संबंधित परफॉर्मेंस मैनेजमेंट, प्रोजेक्ट डिलीवरी और मॉनिटरिंग के लिए यूनिट लगाने का करार भी किया है। इसी तरह सिंगापुर के पीएम ली सिएन लूंग के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे संबंध हैं। आपको यहां बता दें कि गुजरात के सीएम रहते हुए मोदी जब सिंगापुर जा चुके हैं।
सिंगापुर जाएंगे पीएम मोदी
वहीं इस साल भी वह सिंगापुर का दौरा करने वाले हैं। पीएम जुलाई की शुरुआत में शांग्रीला डायलॉग और फिर ईस्ट एशिया एंड इंडिया आसियान समिट के लिए वह सिंगापुर का दौरा करेंगे। इस बार आसियान की अध्यक्षता सिंगापुर को ही करनी है। भारत की पूरी कोशिश है कि आसियान के साथ संबंधों को और आगे लेकर जाया जाए। वहीं इंडोनेशिया हिंद महासागर में भारत के सामरिक सामुद्रिक साझीदार के तौर पर उभर रहा है। प्रेसिडेंट जोको विदोदो का पिछले दो साल में भारत का यह दूसरा दौरा है।
आर्थिक रूप से मजबूत है आसियान
आसियान संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक आधिकरिक पर्यवेक्षक है। इस संगठन के सदस्यों के बीच होने वाले संवाद की आधिकारिक भाषा इंग्लिश ही है। आसियान देशों की सीमाएं भारत, ऑस्ट्रेलिया, चीन, बांग्लादेश, ईस्ट तिमोर और पापुआ न्यूगिनी के साथ लगी हुई हैं। 64 करोड़ की आबादी वाले इन देशों की जीडीपी 213 लाख करोड़ रुपए है। ये भारत की कुल जीडीपी (159 लाख करोड़ रुपये) से 33% अधिक है और आबादी आधी (करीब 130 करोड़) है। यानी आसियान आर्थिक रूप से मजबूत है। गुरुवार को यानी गणतंत्र दिवस की परेड से पहले आसियान देशों के नेता गुरुवार को इंडिया आसियान कमेमरेटिव समिट में शामिल होंगे। यह सम्मेलन साझेदारी के 25 साल पूरे होने पर आयोजित हो रहा है। यह पहला मौका है जब इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे।
दुनिया के चौथे सबसे बड़े निर्यातक हैं आसियान देश
आसियान देश यूरोपियन यूनियन, उत्तरी अमेरिका और चीन के बाद दुनिया के चौथे सबसे बड़े निर्यातक हैं। वैश्विक निर्यात में उसकी हिस्सेदारी सात फीसदी के करीब है। भारत और आसियान देशों के बीच कारोबारी रिश्ते तेजी से मजबूत हो रहे हैं। बीते दस सालों आसियान देशों से कारोबार 44 बिलियन डॉलर बढ़कर 21 से 65 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। हालांकि निर्यात की तुलना में आयात आज भी अधिक है। भारत ने बीते सालों में आसियान देशों के साथ कारोबार तेजी से बढ़ाया है। 2005-2006 में भारत अपने कुल आयात का सात फीसदी हिस्सा आसियान देशों से लेता था आज यह आंकड़ा 10.5 प्रतिशत पहुंच गया है। हालांकि निर्यात के मामले में मामूली कमी आई है। यह आंकड़ा करीब एक फीसदी गिरकर 9.6 पर पहुंचा है। बीते सालों में आसियान देशों का भारत पर भरोसा तेजी से बढ़ा है। दस साल पहले तक भारत आसियान देशों में जो निर्यात करता था उसका पचास फीसदी हिस्सा केवल सिंगापुर को जाता था और शेष पचास फीसदी हिस्सा अन्य नौ देशों को जाता था। आज स्थितियां ऐसी नहीं हैं।
आसियान और भारत
1950 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो शामिल हुए थे1 वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के करीबी मित्र थे। सुकर्णो ने बाद में नेहरू और यूगोस्लाविया, घाना और इजिप्ट के लीडर्स के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद अगले सात दशक में इस क्षेत्र से सिर्फ पांच ऐसे नेता हुए, जो इस अहम मौके पर चीफ गेस्ट बने। इस बार आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों का गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेना इस लिहाज से भी खास है क्योंकि इसी वर्ष भारत और दक्षिण एशियाई देशों के ग्रुप की साझीदारी के 25 साल भी पूरे हो रहे हैं। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाला शिखर सम्मेलन भी इन देशों के साथ भारत के रिश्ते को मजबूत बनेगा।
पद्म पुरस्कारों का ऐलान
इस साल 10 आसियान देशों के एक-एक नागरिक को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ब्रुनेई के मलाई हाजी अब्दुल्लाह बिन मलाई हाजी को मेडिसिन के क्षेत्र में काम के लिए पद्म श्री सम्मान दिया गया है। उन्होंने ऑटिज्म से जुड़ी बीमारियों के लिए मैनेजमेंट सोसायटी की स्थापना की थी। उनके अलावा कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन के बेटे हुन मैनी को सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया है। वह कंबोडिया के सबसे युवा सांसद हैं और कंबोडिया के यूनियन ऑफ यूथ फेडरेशंस के प्रेजिडेंट हैं।
डांसर इतिहासकार से लेकर मूर्तिकार भी पुरस्कृत
इंडोनेशियाई मूर्तिकार न्योमान नुआर्ता को भी यह सम्मान दिया जाएगा। बाली में विष्णु की मूर्ति बनाने के लिए उन्हें जाना जाता है। लाओस के बोनलैप केओकांगा भी इस सूची में शामिल हैं। वह वाट फोउ वर्ल्ड हेरिटेज साइट के डिप्टी डायरेक्टर रहे हैं। इसके अलावा भद्रेश्वर में एक शिव मंदिर के पुनरुत्थान में उनकी अहम भूमिका रही है। मलेशिया के दातुक रामली बिन इब्राहिम क्लासिकल ओडिसी डांसर हैं और बीते 40 सालों से नृत्य सीखा भी रहे हैं। मलयेशिया में सूत्र डांस थिअटर चलाने वाले दातुक को 2011 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड भी मिल चुका है। इस सूची में म्यांमार के इतिहासकार और लेखक डॉ. थान्ट मिंट यू भी शामिल हैं। फिलीपींस के जोस मा जोए, सिंगापुर के टॉमी कोह, थाईलैंड के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता सोमदे फ्रा अरिया वॉन्गसा खोट्टायन और वियतनाम के नैशनव वियतनाम बुद्धिस्ट संघ के जनरल सेक्रेटरी गुयेन तेन थियेन को भी यह पुरस्कार दिया गया है।
गणतंत्र दिवस पर बन चुके हैं अतिथि
मुख्य अतिथियों का चुनाव भारत की विदेश नीति, उनसे द्विपक्षीय संबंधों और दोस्ती को मजबूत बनाने के तहत किया गया है। पहले सोवियत संघ और बाद के रूस और भूटान चार बार, फ्रांस और ब्रिटेन पांच बार गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि रहे हैं। लीजेंडरी यूगोस्लावियाई लीडर मार्शल टीटो दो बार चीफ गेस्ट बने, जबकि नाइजीरिया और जापान के लीडर्स को दो-दो बार न्योते दिया गया। मॉरीशस के लीडर्स को तीन बार इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। पाकिस्तान भी दो बार इस मौके पर विशेष अतिथी बन चुका है।
आसियान पर एक नजर
– आसियान की स्थापना 8 अगस्त 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई थी। उस समय इस संगठन में थाईलैंड के अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर थे।
– ब्रुनेई 1984 में और वियतनाम को 1995 में शामिल किया गया था। फिर 1997 में लाओस और म्यांमार को इसका हिस्सा बनाया गया।
– 1999 में कंबोडिया में को इसका सदस्य बनाया गया। 1976 में आसियान की पहली बैठक हुई। जिसका एजेंडा शांति और सहयोग था।
– 1994 में आसियान ने एशियाई क्षेत्रीय फोरम की स्थापना की। इसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था। इसके सदस्य अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया 23 सदस्य हैं।
– 1992 में भारत असियान का ‘क्षेत्रीय संवाद भागीदार’ और 1996 में पूर्ण सदस्य बन गया। चीन की भी कोशिश है कि उसे भी आसियान का पूर्ण सदस्य बना जाए।
– 2015 में मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में आयोजित इसकी बैठक में आर्थिक नीति पर एक बड़ा फैसला लिया गया। जिसमें सभी सदस्य देशों को मिलाकर आर्थिक समुदाय बनाने का फैसला लिया गया। 31 दिसंबर 2015 में इसको बना भी लिया गया। जिसमें सदस्य कई आर्थिक समझौंतों से बंधे हुए हैं।