पाकिस्तान की ओर से भारत संग बातचीत को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है. इस पड़ोसी मुल्क का कहना है कि भारत के साथ अब कोई भी बातचीत 2019 के आम चुनावों के बाद ही शुरू होगी. वहां के एक उच्च अधिकारी ने कहा है कि इसके पहले भारत से बाचतीच की कोशिश का कोई फायदा नहीं है. उनका कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आम चुनाव के पहले वहां (भारत) की वर्तमान सरकार इसे लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं करेगी. वहीं, पाकिस्तान ने ये भी साफ किया कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच उनकी पहली पसंद कौन हैं.
बातचीत का सही समय नहीं
गल्फ न्यूज़ की एक रिपोर्ट मुताबिक पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ये बयान दिया है. उनका कहना है कि भारत में नेता अभी चुनावों की तैयारी में लगे हैं. ऐसे में ये बातचीत का सही समय नहीं है. चौधरी ने कहा, “उनसे (भारत से) तब तक बात करने का कोई फायदा नहीं है जब तक वहां स्थिरता नहीं आ जाती है. हम तभी आगे बढ़ेंगे जब आम चुनाव के बाद नई सरकार का गठन हो जाता है.”
वर्तमान भारत सरकार नहीं लेगी बड़े फैसले
चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत के प्रयासों को लेकर इसलिए विलंब कर रहा है क्योंकि उन्हें वर्तमान सरकार से किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत की जनता जिस किसी नेता या पार्टी को भी चुनेगी, पाकिस्तान उसका सम्मान करेगा. जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान के लिहाज़ से कौन ज़्यादा बेहतर होगा, यानी पाकिस्तान को नरेंद्र मोदी ज़्यादा सूट करेंगे या राहुल गांधी तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए ये मयाने नहीं रखता है.
उरी के बाद रुकी थी बातचीत
उन्होंने कहा कि भारत में जो भी सरकार आती है पाकिस्तान उससे बताचीत के लिए तैयार है. आपको बता दें कि 2016 में उरी पर हुए हमले के बाद भारत-पाक बातचीत पर एक बार फिर पूर्णविराम लग गया. इस हमले के बाद भारत ने बेहद कठोर नीति अपनाते हुए साफ कर दिया कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. भारत की ओर से कहा गया कि धमकों के बीच बातचीत की आवाज़ सुनाई नहीं देती है.
मोदी सरकार ने किए तमाम प्रयास
आपको ये भी बता दें कि मोदी सरकार ने पाक से रिश्ते सुधारने के तमाम प्रयास किए. 2015 में तो जब पीएम मोदी अफगानिस्ता के दौरे से लौट रहे थे तो प्रोटोकॉल तोड़ते हुए पाकिस्तान पहुंच गए और तब के पाकिस्तानी पीएम नवाज़ शरीफ से मुलाकात की. लेकिन इसके बाद पाकिस्तानी आतंकियों ने भारत के पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया. वहीं, 2016 के उरी हमले के अलावा पाक ने कश्मीर को लगातार अस्थिर बनाए रखने की साज़िश की है.
लंबे समय से बंद है द्विपक्षीय बातचीत
2017 में दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई. वहीं, भारत ने सार्क समेत तमाम प्लेटफॉर्म्स पर पाकिस्तान का बायकॉट किया. हालांकि, पिछले साल करतारपुर कॉरिडोर का खोला जाना भारत-पाक रिश्तों के लिए किसी राहत की सांस से कम नहीं रहा. चौधरी से सवालों के सिलेसिले में जब पूछा गया कि पाकिस्तान में विदेश नीति से जुड़े फैसले सरकार लेती है या सेना तो इसके जवाब में चौधरी ने कहा कि फैसले बेशक इमरान ख़ान लेते हैं.
सेना चलाती है सरकार
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान सेना और सरकार के बीच इसलिए तकरार थी क्योंकि दोनों एक दूसरे से बातचीत नहीं कर पा रहे थे. इस सरकार में ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि पाकिस्तान के वर्तमान पीएम इमरान ख़ान को पाकिस्तानी सेना के करीब माना जाता है. वहीं, एक और तथ्य जगजाहिर है कि पाकिस्तान की सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से सेना ही चलाती है. यही एक बड़ी वजह है जिसकी चलते बार-बार ठीक होने के बावजूद भारत-पाक रिश्ते पटरी से उतर जाते हैं.
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