Jabalpur News रद्दीचौकी के समीप स्थित गाजीबाग में गुरुवार को स्थिति फिर असामान्य हो गई। धरने पर बैठीं महिलाओं को समझाने पहुंचे सामाजिक न्याय मंत्री के आश्वासन के बाद ऐसा लगा कि महिलाएं मान गई लेकिन थोड़ी देर में स्थिति विस्फोटक हो गई। युवकों ने पथराव शुरू कर दिया। भीड़ को नियंत्रित करने पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन जब स्थिति काबू होते नहीं दिखी तो हल्का लाठी चार्ज भी किया। इसके बावजूद महिलाओं को धरना खत्म नहीं हुआ और वे देर रात तक गाजीबाग में ही बैठी रहीं। एहतियात के दौर पर पुलिस बल भी देर रात तक क्षेत्र में मौजूद रहा।
सीएए और एनआरसी के विरोध में रद्दी चौकी गाजीबाग में मुस्लिम महिलाओं के 10 दिनों से चल रहे आंदोलन को समाप्त करने के लिए गुरुवार को सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया पहुंचे। जिन्हें महिलाओं के समूह ने ज्ञापन सौंपकर सीएए और एनआरसी के कानून को हटाने की मांग की।
वहीं मंत्री घनघोरिया ने भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास यह मांग रखने की बात कहते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। महिलाएं घर जाने की तैयारी करने लगीं तभी कुछ महिलाओं ने विरोध कर दिया। इसके अलावा सड़क पर एकत्रित युवकों की भीड़ भी धरना की मांग करने लगी। आखिर में सभी ने धरने में बैठने का निर्णय लिया।
रास्ता खोलने भीड़ हटाई तो हुआ विरोध
सड़क पर धरने में बैठे युवकों के कारण रास्ता जाम हो गया था। पुलिस ने रास्ता खोलने के लिए जब युवकों को उठाने की कोशिश की तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। पुलिस की जोर-जबरदस्ती करने पर युवकों ने पथराव शुरू कर दिया जिसके बाद भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पहले आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। बाद में तनाव बढ़ता देख पुलिस ने हल्का लाठी चार्ज भी किया।
पुलिस लाइन में एसपी ने दिए निर्देश
इससे पूर्व एसपी अमित सिंह ने गुरुवार की दोपहर लगभग 3 बजे पुलिस लाइन में महिला बल और सभी थानों के टीआई, स्टाफ और सीएसपी को बुलाकर निर्देश दिए। इसके बाद वहां से सभी गाजीबाग के लिए रवाना हुए। लगभग 3.45 बजे बल वहां पहुंचा और अपनी ड्यूटी संभाली।
साढ़े 4 बजे पहुंचे मंत्री लखन घनघोरिया
शाम लगभग 4.30 बजे सामाजिक न्याय मंत्री मंत्री लखन घनघोरिया गाजीबाग पहुंचे और धरने पर बैठीं महिलाओं से बातचीत की। महिलाओं ने मंत्री को मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपकर एनआरसी और सीएए को वापस लेने की मांग की। श्री घनघोरिया ने महिलाओं को धरना समाप्त कर घर जाने के लिए कहा। लेकिन उनकी बात से महिलाओं का एक वर्ग ही सहमत हुआ जबकि दूसरा वर्ग धरने पर ही बैठा रहा।