वर्ल्ड हेरीटेज सिटी अहमदाबाद में नगर निगम ने शहर को स्वच्छ बनाने के साथ हेरीटेज महत्व के स्थलों पर किये गये अतिक्रमण को हटाने का अभियान शुरु किया है। जामा मस्जिद के पीछे बने सुल्तान अहमद शाह के मकबरे के सामने बने ‘रानी का हजीरा’ से सैकड़ों वर्गमीटर का कब्जा हटाकर अब उसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। मुसिलम व्यापारियों ने इस पर चारों ओर से कब्जा जमा रखा था।
महानगर पालिका ने अहमदाबाद को स्वच्छ, सुंदर बनाने के साथ हेरीटेज महत्व के स्मारक एवं इमारतों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने का अभियान छेड़ रखा है। पुराने शहर में जामा मस्जिद के पीछे सुल्तान अहमद शाह का मकबरा है जिसे राजा का हजीरा कहा जाता है, इसी के ठीक सामने माणक चौक से लगते रानी का हजीरा बना है। यह एक मकबरा है जिसे मुगलई बीबी का मकबरा भी कहा जाता है। जहां सुल्तान की रानियों को दफनाया गया, इसका निर्माण वर्ष 1445 में किया गया था।
गुजरात के विश्व विख्यात पारंपरिक नृत्य गरबा के पोशाक, अन्य कपड़े, हस्तशिल्प और कृत्रिम आभूषण का यहां बड़ा बाजार है। मुस्लिम व्यापारियों ने इसे चारों और से घेरकर कब्जा जमा रखा था। गत दिनों महानगर पालिका ने यहां से अतिक्रमण हटाया तो इसके एक ओर बनी सीढ़ियां नजर आईं तथा भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के साइन बोर्ड दिखने लगे। मनपा की ओर से शाहपुर, खाड़िया, जमालपुर, रायखड, कालुपुर व दरियापुर इलाकों में बनी हेरीटेज इमारतों के संरक्षण के लिए इनके आसपास के अतिक्रमण हो हटाने का अभियान चलाया जा रहा है।
यूनेस्को ने अहमदाबाद शहर को वर्ल्ड हेरीटेज सिटी घोषित कर रखा है, अहमदाबाद को छह सौ साल पहले सुल्तान अहमद शाह ने बसाया था। इस शहर में 500 से 600 साल पुरानी साढ़े चार सौ इमारत हैं। इनमें भद्र किला, जामा मस्जिद, बाबा अलीसर – गंजबख्श का मकरबा सरखेज रोजा, आजम खान – मौजम खान का रोजा, तीन दरवाजा, सिद्दी सैयद की जाली, झूलती मीनारें, 5 कुंवा, दिल्ली दरवाजा आदि शामिल हैं। खुद गुजरात सरकार ने अहमदाबाद महानगर पालिका एवं सेप्ट युनिवर्सिटी के संरक्षण अध्ययन केंद्र की ओर से तैयार इस रिपोर्ट को गुजरात सरकार अपने गजट में प्रकाशित कर चुकी है।